नयी दिल्ली, दो फरवरी (भाषा) विदेशी बाजारों में गिरावट के रुख और आयातित खाद्यतेलों के थोक दाम सस्ता होने के बीच शुक्रवार को देश के तेल-तिलहन बाजार में ऊंचे भाव पर लिवाली कमजोर रहने से सरसों तेल तिलहन के भाव हानि के साथ बंद हुए।
वहीं सरकार की ओर से किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सोयाबीन की खरीद के आश्वासन के बीच सोयाबीन तिलहन और आवक कमजोर होने से बिनौला तेल के भाव मजबूत बंद हुए। दूसरी ओर ऊंचे भाव पर कामकाज कमजोर रहने से मूंगफली तेल तिलहन, आयात भाव से कम दाम पर बिकवाली होने और कम आयात होने के कारण सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए।
मलेशिया एक्सचेंज में आधा प्रतिशत की गिरावट थी और शुक्रवार की शाम का कारोबार बंद है। जबकि शिकॉगो एक्सचेंज कल रात लगभग 0.75 प्रतिशत टूटा था और फिलहाल यहां दो प्रतिशत से भी अधिक की गिरावट है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि सरकार की ओर से उपभोक्ता मामलों के विभाग ने खाद्यतेल कंपनियों को पत्र लिखकर अंतरराष्ट्रीय कीमतों में आई गिरावट के अनुरूप देश में खाद्यतेलों के दाम कम करने के लिए कहा है और ऐसा नहीं करने पर सख्त कार्रवाई का संकेत दिया है। इस पर कुछेक खाद्यतेल कंपनियों की ओर से दावा किया गया कि सोयाबीन डीगम तेल का दाम दिसंबर के मुकाबले जनवरी में आठ प्रतिशत के लगभग बढ़ा है और इसलिए फिलहाल अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) में कमी की गुंजाइश कम है।
सूत्रों ने कहा, ‘‘दिसंबर में कांडला बंदरगाह पर सोयाबीन डीगम तेल का थोक दाम 980 डॉलर प्रति टन था जो जनवरी में घटकर 910-920 डॉलर प्रति टन रह गया। सोयाबीन तिलहन का भाव 12 दिसंबर को 5,200 रुपये क्विन्टल था जो जनवरी में घटकर 4,600-4,700 रुपये क्विन्टल रह गया। मूंगफली तेल का थोक दाम दिसंबर में 160 रुपये किलो था जो जनवरी में घटकर 150 रुपये किलो से भी नीचे चला गया।’’
उन्होंने कहा कि दाम बढ़ने का दावा विदेशी कंपनियों के हितों को साधने वाले लोगों द्वारा करने के बजाय देश के खाद्यतेल संगठनों की ओर से स्पष्ट किया जाना चाहिये कि दिसंबर के मुकाबले जनवरी में दाम घटे हैं या बढ़े हैं। फिलहाल इस पूरे वाद विवाद को देखते हुए सरकार को एक पोर्टल पर तेल कंननियों द्वारा एमआरपी की उद्घोषणा करना अनिवार्य करने के बारे में सोचना चाहिये। इससे ऐसे सारे विवादों पर हमेशा के लिए विराम लग जायेगा।
सस्ते आयातित तेल के रहते ऊंचे भाव पर लिवाली कमजोर होने से सरसों तेल तिलहन में गिरावट आई। जबकि सरकार की ओर से एमएसपी पर किसानों से सोयाबीन की खरीद के आश्वासन को देखते हुए सोयाबीन तिलहन के दाम में सुधार रहा।
हालांकि इस कदम से सोयाबीन पेराई मिलों की मुसीबत बढ़ेगी क्योंकि सस्ते आयातित तेलों की मौजूदगी के बीच पेराई के बाद और महंगी लागत वाली देशी सोयाबीन तेल कौन खरीदेगा ? आवक कमजोर होने से बिनौला तेल के दाम भी सुधार के साथ बंद हुए।
ऊंचे भाव पर लिवाली कमजोर रहने के बीच मूंगफली तेल तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर रहे। आयात में तीन रुपये किलो का नुकसान बैठने के बीच विदेशों में गिरावट आने के बावजूद सीपीओ और पामोलीन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे। आयात कम होने से सोयाबीन तेल में ठहराव है नहीं तो आज इसके दाम भी टूटे होते।
शुक्रवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 5,250-5,300 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,350-6,425 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,000 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,245-2,520 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 9,675 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,660 -1,755 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,660 -1,760 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 9,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,250 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 7,950 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 7,950 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 8,2 00 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,000 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 8,200 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 4,605-4,635 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,415-4,455 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,050 रुपये प्रति क्विंटल। भाषा राजेश राजेश रमण
रमण
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