नयी दिल्ली, 4 नवंबर (भाषा) नवंबर में सॉफ्ट आयल (नरम तेल का) आयात कम रहने की आशंका के बीच देश के तेल-तिलहन बाजारों में शनिवार को सोयाबीन तेल-तिलहन में आई तेजी को छोड़कर बाकी अधिकांश तेल तिलहन कीमतों में गिरावट दर्ज हुई। दाम ऊंचा रहने के बीच मूंगफली तेल तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर ही बंद हुए।
कारोबारी सूत्रों ने कहा कि अब खाद्यतेल कारोबार की पहले जैसी स्थिति नहीं रह गई है, जब रबी तिलहन फसल की कमी को खरीफ उत्पादन बढ़ाकर पूरा करने का प्रयास किया जाता था। खरीफ में थोड़ा बहुत उत्पादन बढ़ भी जाता है तो उससे कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है क्योंकि आबादी बढ़ने के साथ मांग भी बढ़ चुकी है। यानी अब आयात पर निर्भरता बढ़ गई है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में देशी तेल तिलहन बहुत नाजुक स्थिति में हैं क्योंकि सस्ते आयातित तेलों का उनपर भारी दवाब है, जिससे इन देशी तेलों का खपना मुश्किल है।
कांडला बंदरगाह पर सॉफ्ट आयल का स्टॉक पहले से काफी कम है और इस बीच नवंबर में उनका कम आयात होने का अनुमान है। आगे त्योहारों और शादी विवाह के मौसम तथा जाड़े को देखते हुए नरम तेलों की मांग और बढ़ने वाली है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा और पंजाब के कपास फसल कीट हमले से नुकसान की स्थिति में है। उससे तेल की प्राप्ति का स्तर कम है और तिलहन की गुणवत्ता भी ठीक नहीं है। हरियाणा, पंजाब की पेराई मिलें गुजरात से बिनौला तिलहन खरीद रही हैं। ऐसी स्थिति में दीवाली त्योहार के बाद नरम तेलों की बढ़ती मांग को पूरा करने में दिक्कत आ सकती है।
सूत्रों ने कहा कि तेल संगठनों को सरकार को यह भी बताना चाहिये कि जून, जुलाई, अगस्त के महीनों में जो अत्यधिक आयात हो रहा था वह नवंबर में घटने क्यों जा रहा है, जब त्योहार और शादी विवाह का मौसम सामने खड़ा है।
जून, जुलाई, अगस्त के महीनों में यानी गर्मी के दिनों में सोयाबीन तेल का लगभग 4.50 लाख टन और सूरजमुखी तेल का 3.50-3.75 लाख टन प्रति माह का आयात हो रहा था। लेकिन जब जाड़े में नरम तेलों की मांग बढ़ती है तो नवंबर में सोयाबीन तेल का लगभग 1.70-1.75 लाख टन और सूरजमुखी तेल का 2.60-2.70 लाख टन प्रति माह का आयात होने के आसार हैं। जाड़े में पाम, पामोलीन की जगह सोयाबीन और सूरजमुखी तेल की मांग बढ़ती है।
उन्होंने कहा कि सोयाबीन के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के आसपास होने के बावजूद मंडियों में सोयाबीन की आवक कम है क्योंकि किसानों ने पिछले कुछ वर्षो में काफी अधिक दाम प्राप्त किये हैं। इसी वजह से वह मंडियों में सोयाबीन कम ला रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि सभी जिम्मेदार लोगों को देखना होगा कि थोक दाम घटने के बावजूद खुदरा बाजार में खाद्यतेलों में महंगाई क्यों है और उपभोक्ताओं को राहत क्यों नहीं मिल रही। उपभोक्ताओं को सरसों तेल लगभग 30 रुपये लीटर, मूंगफली तेल 50-70 रुपये लीटर और सूरजमुखी तेल लगभग 30 रुपये लीटर महंगा मिल रहा है। कल रात ब्राजील में मौसम ठीक नहीं होने की वजह से शिकागो में सोयाबीन डी-आयल्ड केक (डीओसी) के दाम तीन प्रतिशत बढ़ा दिये गये।
शनिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 5,700-5,750 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,700-6,775 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,200 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,255-2,540 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 10,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,785 -1,880 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,785 -1,895 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,050 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,895 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,375 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 7,725 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 8,725 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,000 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 8,175 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 5,085-5,185 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,885-4,985 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,050 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश पाण्डेय
पाण्डेय
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