नयी दिल्ली, 20 अप्रैल (भाषा) सरकार ने कोयला व्यापार एक्सचेंज को लेकर प्रस्तावित नियमों पर सार्वजनिक टिप्पणियां देने की समयसीमा सात मई तक बढ़ा दी है। इस एक्सचेंज से जिंस के रूप में कोयले का कारोबार हो सकेगा।
कोयला मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर कहा, ‘‘मंत्रालय ने सार्वजनिक परामर्श के लिए कोयला व्यापार एक्सचेंज पर प्रस्तावित नियमों का मसौदा प्रकाशित किया था… कोयला मंत्रालय ने टिप्पणियां/सुझाव देने की अंतिम तिथि छह अप्रैल, 2025 से बढ़ाकर सात मई, 2025 करने का निर्णय लिया है।’’
कोयला मंत्रालय ने प्रस्तावित एक्सचेंज के लिए कोयला नियंत्रक संगठन (सीसीओ) को नियामक के रूप में सशक्त बनाने का प्रस्ताव किया है।
वर्तमान में देश में कोयला बिक्री चैनल विशिष्ट रूप से कोल इंडिया लिमिटेड सहित सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला कंपनियों के लिए है। इसलिए एक मंच यानी कोल ट्रेडिंग एक्सचेंज (सीटीई) प्रदान करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है, ताकि वाणिज्यिक, खुद के इस्तेमाल के लिए कोयला खनन करने वाली कंपनियों को अपने उत्पाद को बाजार में लाने के लिए आसान पहुंच मिल सके।
यह एक्सचेंज जिंस के रूप में कोयले के व्यापार की सुविधा प्रदान करेगा।
सीटीई में ‘कई-से-कई’ मंच की परिकल्पना की गई है, जहां खरीदार और विक्रेता दोनों एक साथ बोली लगा सकते हैं, जिससे कोयले की कीमत का पता लगाना अधिक कुशल और प्रतिस्पर्धी बन जाएगा। इस प्रकार, कोयला व्यापार एक्सचेंज देश में कोयला बिक्री को ‘एक-से-कई’ मॉडल से ‘कई-से-कई’ मॉडल में बदलकर एक आदर्श बदलाव लाएगा।
इसके अलावा, यह परिकल्पना की गई है कि सीटीई समाशोधन और निपटान प्रणाली प्रदान करेगा, जहां एक्सचेंज ‘प्रतिपक्ष’ के रूप में कार्य करेगा।
भारत या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परिचालन करने विभिन्न जिंस एक्सचेंजों को एक नियामक द्वारा विनियमित किया जा रहा है। कोयला मंत्रालय ने देश में स्थापित किए जाने वाले कोयला एक्सचेंज के लिए नियामक के रूप में सीसीओ को सशक्त बनाने का प्रस्ताव किया है।
मंत्रालय ने कहा कि भारत का कोयला उत्पादन 2030 तक 1.5 अरब टन से अधिक पर पहुंचने की उम्मीद है।
भाषा अजय अजय
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