(मौमिता बक्शी चटर्जी)
नयी दिल्ली, 27 फरवरी (भाषा) सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि डेटा संरक्षण विधेयक के मसौदे पर संबंधित पक्षों के साथ विस्तृत चर्चा जारी है और सरकार को इसपर मानसून सत्र तक संसद की मंजूरी मिल जाने की उम्मीद है।
वैष्णव ने पीटीआई-भाषा को दिए साक्षात्कार में कहा कि मौजूदा डेटा संरक्षण कानून के मसौदे को निरस्त करने की कोई योजना नहीं है और इस पर संबंधित पक्षों से मिले तमाम सुझावों के आधार पर जटिल मुद्दों का हल निकलने की उम्मीद है। इस मसले पर संसदीय समिति के स्तर पर भी चर्चाओं का दौर जारी है।
डेटा संरक्षण विधेयक में नागरिकों के निजी डेटा को सुरक्षित रखने के लिए प्रावधान करने के अलावा डेटा संरक्षण प्राधिकरण के गठन का भी प्रस्ताव रखा गया है। इसमें यह प्रावधान रखा गया है कि कोई भी संस्था व्यक्ति की सहमति के बगैर उससे जुड़ी निजी जानकारियों का इस्तेमाल नहीं कर सकती है।
व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 पर गठित संसद की संयुक्त समिति ने 16 दिसंबर, 2021 को संसद के दोनों सदनों मे अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी जिसमें विभिन्न पहलुओं पर मत व्यक्त किए गए थे।
वैष्णव ने कहा कि डेटा संरक्षण पर चर्चाओं के बाद तैयार रिपोर्ट काफी समग्र है। उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित रूप से यह एक जटिल मामला है। इन बिंदुओं का हल निकालने की जरूरत है। मुझे उम्मीद है कि जल्द ही इन बिंदुओं को हल कर लिया जाएगा।’’
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने उम्मीद जताते हुए कहा, ‘‘जल्द ही इन मसलों का हल निकाल लिया जाएगा। हमने बजट सत्र का ही लक्ष्य रखा था, लेकिन मानसून सत्र तक हमें इसे पूरा कर लेना चाहिए।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार को मानसून सत्र तक डेटा संरक्षण विधेयक के मसौदे पर संसद की मंजूरी हासिल हो जाने की उम्मीद है, वैष्णव ने सकारात्मक जवाब देते हुए कहा कि सरकार ने इसी को अपना लक्ष्य बनाया हुआ है।
डेटा संरक्षण विधेयक में लोगों के व्यक्तिगत आंकड़ों के इस्तेमाल एवं प्रवाह को वर्गीकृत करने के अलावा निजी डेटा के प्रसंस्करण के बारे में व्यक्तिगत अधिकारों के संरक्षण के भी प्रस्ताव रखे गए हैं। इसके अलावा डेटा प्रसंस्करण वाली इकाइयों की जवाबदेही तय करने और अनधिकृत इस्तेमाल की स्थिति में बचाव के कदमों का उल्लेख भी किया गया है।
डेटा संरक्षण विधेयक में सरकार को अपनी जांच एजेंसियों को अधिनियम के प्रावधानों से कुछ खास रियायतें देने की बात भी कही गई है। इसका विपक्षी दलों के सदस्यों ने विरोध करते हुए अपनी असहमति भी जताई।
भाषा
प्रेम अजय
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