मुंबई, 22 जून (भाषा) देश का चालू खाते का घाटा (कैड) वित्त वर्ष 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.2 प्रतिशत रहा। जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में 0.9 प्रतिशत अधिशेष की स्थिति थी। मुख्य रूप से व्यापार घाटा बढ़ने से कैड बढ़ा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को यह जानकारी दी।
निरपेक्ष रूप से वित्त वर्ष 2021-22 में घाटा 38.7 अरब डॉलर रहा जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में 24 अरब डॉलर अधिशेष की स्थिति थी।
आरबीआई के अनुसार, चालू खाते का घाटा वित्त वर्ष 2021-22 की मार्च तिमाही में 13.4 अरब डॉलर यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.5 प्रतिशत रहा, जो इससे पूर्व दिसंबर तिमाही में 22.2 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 2.6 प्रतिशत था।
चालू खाता घाटा तब होता है जब किसी विशेष अवधि में आयातित वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य तथा अन्य भुगतान निर्यात की गई वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य तथा अन्य प्राप्ति की तुलना में अधिक होता है।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2021-22 में बढ़कर 189.5 अरब डॉलर हो गया, जो इससे पूर्व 2020-21 में 102.2 अरब डॉलर था। इसके कारण चालू खाते का घाटा बढ़ा है। यह देश की बाह्य मोर्चे पर मजबूत स्थिति को बताता है।
भुगतान संतुलन के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का आयात 618.6 अरब डॉलर का रहा, जबकि एक साल पहले यह 398.5 अरब डॉलर था। इससे व्यापार घाटा बढ़ा है।
आरबीआई ने कहा कि सेवाओं के निर्यात और हस्तांतरण प्राप्तियों में वृद्धि के कारण वित्त वर्ष 2021-22 में शुद्ध अदृश्य प्राप्तियों में वृद्धि हुई है। अकेले सॉफ्टवेयर सेवा क्षेत्र में शुद्ध लाभ 109 अरब डॉलर रहा।
आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 में 38.6 अरब डॉलर का शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आया, जो वित्त वर्ष 2020-21 में 44 अरब डॉलर की तुलना में कम है।
आरबीआई ने कहा कि बीते वित्त वर्ष के दौरान विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफपीआई) ने 16.8 अरब डॉलर की निकासी की। इससे पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में विदेशी निवेशकों ने 36.1 अरब डॉलर लगाये थे।
भाषा जतिन रमण
रमण
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.