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Tuesday, 1 October, 2024
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न्यायालय ने डीएचएफएल मामले में अपीलीय न्यायाधिकरण के आदेश पर रोक लगायी

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नयी दिल्ली, 11 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को डीएचएफएल मामले में राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश पर रोक लगा दी। एनसीएलएटी ने अपने आदेश में पीरामल समूह की डीएचएफएल के लिये सफल बोली को मूल्यांकन पर पुनर्विचार के लिये कर्ज में डूबी वित्तीय कंपनी के कर्जदाताओं को भेज दिया था।

मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायाधीश कृष्ण मुरारी और न्यायाधीश हिमा कोहली की पीठ ने पीरामल समूह की अपील को स्वीकार किया, जिसमें अपीलीय न्यायाधिकरण के आदेश को चुनौती दी गयी है।

एनसीएलएटी ने इस साल जनवरी में 63 मून्स टेक्नोलॉजीज की याचिका पर अपने फैसले में पीरामल कैपिटल एंड हाउसिंग फाइनेंस लि. के ऋण शोधन समाधान को मंजूरी देते हुए दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लि. (डीएचएफएल) के कर्जदाताओं को वित्तीय कंपनी के टाले जाने वाले लेनदेन के मूल्यांकन पर फिर से विचार करने को कहा था।

अपीलीय न्यायाधिकरण ने अपने फैसले में ऋणदाताओं को बिक्री की शर्तों पर पुनर्विचार करने के लिए कहा था, जिसमें पीरामल को 45,000 करोड़ रुपये मूल्य के पिछले लेनदेन से संभावित वसूली की अनुमति दी गयी थी।

शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई के लिये पांच मई की तारीख तय की है।

मामले में कर्जदाताओं की समिति की तरफ से पेश तुषार मेहता ने कहा कि ज्यादातर ये लेन-देन डीएचएफएल के पूर्व प्रबंधन ने किये थे जो अनियमित या धोखाधड़ी वाले थे। बैंकों को इसमें से कुछ भी मिलने की उम्मीद नहीं है।

संकट में फंसी डीएचएफएल की ऋण शोधन समाधान कार्यवाही के तहत पीरामल कैपिटल सफल बोलीदाता के रूप में उभरी थी। कर्जदाताओं की समिति ने डीएचएफएल की वसूली योग्य 45,000 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियों का मूल्य केवल एक रुपये लगाया था। ये वे संपत्तियां हैं, जिनकी डीएचएफएल के पूर्व प्रवर्तकों ने धोखाधड़ी कर हेराफेरी की है।

भाषा

रमण अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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