नयी दिल्ली, 22 फरवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (आईबीएचएफ) के प्रवर्तक को कंपनी में और हिस्सेदारी बेचने या स्थानांतरित करने से रोकने की अपील करने वाली याचिका पर केंद्र, सेबी और रिजर्व बैंक से जवाब मांगा है।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने मंगलवार को वित्त मंत्रालय, कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय, राष्ट्रीय आवास बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक, गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड, आईबीएचएफएल और इसके प्रवर्तक समीर गहलोत को एक एनजीओ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान नोटिस जारी किया।
इस मामले की अगली सुनवाई 21 मार्च को होगी।
एनजीओ सिटीजन व्हिसल ब्लोअर्स फोरम द्वारा दायर अर्जी में समीर गहलोत को कंपनी में अपनी कोई हिस्सेदारी बेचने या स्थानांतरित करने से रोकने की अपील की गई है।
एनजीओ की ओर से उपस्थित अधिवक्ता शादान फरासत ने कहा कि गहलोत ने हाल में 17 दिसंबर, 2021 तक अपने आधे शेयर (11.9 प्रतिशत की राशि) बेच दिए हैं। इससे कंपनी में उनकी हिस्सेदारी घटकर 21.69 प्रतिशत से 9.8 प्रतिशत पर आ गई है।
उल्लेखनीय है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पहले ही 20 मार्च, 2020 को आव्रजन उपनिदेशक, आव्रजन ब्यूरो को एक अनुरोध पत्र जारी किया था, जिसमें समीर गहलोत के खिलाफ ‘लुक आउट’ सर्कुलर (एलओसी) जारी करने की मांग की गई थी। अधिवक्ता कामिनी जायसवाल के माध्यम से जारी आवेदन में ईडी ने कहा है कि गहलोत धन शोधन रोधक कानून, 2002 (पीएमएलए) के तहत यस बैंक मनी लांड्रिंग मामले में शामिल हैं।
अपील में कहा गया है कि अपनी हिस्सेदारी बेचकर गहलोत आईबीएचएफएल के संस्थापक, प्रवर्तक और निदेशक के रूप में अपनी अवैध गतिविधियों की किसी भी जवाबदेही से खुद को मुक्त करने का प्रयास कर रहे थे।
भाषा अजय अजय रमण
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