नयी दिल्ली, 24 जुलाई (भाषा) विमानन कंपनी स्पाइसजेट ने बृहस्पतिवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय ने केएएल एयरवेज और कलानिधि मारन की उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें 1,300 करोड़ रुपये से अधिक के हर्जाने एवं अन्य दावों की मांग की गई थी।
स्पाइसजेट ने शेयर बाजार को दी सूचना में बताया, ‘‘ इस आदेश के साथ केएएल एयरवेज और कलानिधि मारन की अपीलें अंततः खारिज कर दी गई हैं। न्यायालय द्वारा तय किया जाने वाले बाकी मुद्दों में स्पाइसजेट की अपील है जिसमें लगाए गए ब्याज को चुनौती दी गई है जिसे स्पाइसजेट ने न्यायालय में पर्याप्त रूप से जमा भी कर दिया है। इसके अलावा मध्यस्थ न्यायाधिकरण द्वारा सीआरपीएस राशि की समयपूर्व वापसी को चुनौती दी गई है।’’
सीआरपीएस का तात्पर्य संचयी प्रतिदेय अधिमान्य शेयर से है।
मारन और केएएल एयरवेज स्पाइसजेट के पूर्व प्रवर्तक हैं।
दाखिल दस्तावेज में कहा गया कि उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केएएल एयरवेज और कलानिधि मारन की अपील को खारिज कर दिया, जिसमें 1,300 करोड़ रुपये से अधिक के हर्जाने और अन्य दावों की मांग की गई थी।
इसमें कहा गया, ‘‘ इन दावों को पहले ही मध्यस्थ न्यायाधिकरण, दिल्ली उच्च न्यायालय और उसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा खारिज कर दिया गया था।’’
यह मामला 2015 की शुरुआत का है, जब स्पाइसजेट के प्रवर्तक अजय सिंह (जो पहले विमानन कंपनी के मालिक थे) ने संसाधन की कमी के कारण कई महीनों तक बंद रहने के बाद इसे मारन से वापस खरीद लिया था।
समझौते के तहत मारन और केएएल एयरवेज ने वारंट और तरजीह शेयर जारी करने के लिए स्पाइसजेट को 679 करोड़ रुपये का भुगतान करने का दावा किया था।
हालाकि, मारन ने 2017 में अदालत का रुख किया और आरोप लगाया कि स्पाइसजेट ने न तो परिवर्तनीय वारंट और तरजीह शेयर जारी किए और न ही पैसे लौटाए। यह शेयर हस्तांतरण का एक लंबे समय से जारी विवाद है।
भाषा निहारिका नरेश
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