नयी दिल्ली, दो मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने व्यवसायी रतुल पुरी को इरादतन चूककर्ता यानी जानबूझकर कर्ज न चुकाने वाला घोषित करने के बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) के फैसले को रद्द कर दिया है।
बीओबी ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए पुरी को इरादतन चूककर्ता घोषित किया था।
अदालत ने कहा कि फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट मोजर बेयर इंडिया लिमिटेड (एमबीआईएल) की सहायक कंपनियों में किए गए निवेश के स्रोत को सत्यापित नहीं करती है। पुरी पहले एमबीआईएल के साथ जुड़े थे।
अदालत ने कहा कि बैंक धन के स्रोत की पुष्टि किए बिना याचिकाकर्ता को इरादतन चूककर्ता घोषित करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी नहीं कर सकता था।
न्यायमूर्ति पुरुषइंद्र कुमार कौरव ने 29 फरवरी को पारित अपने आदेश में कहा कि जब तक निवेश की गई राशि को उधार ली गई राशि नहीं पाया जाता, तक तक प्रतिवादी-बैंक के पास मास्टर परिपत्र को लागू करने का अधिकार नहीं था।
अदालत ने कहा कि फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट में पुरी द्वारा धन का हेरफेर करने के संबंध में कोई निष्कर्ष दर्ज नहीं किया गया है।
भाषा पाण्डेय
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