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बांस की खेती को बढ़ावा देने में सहकारी क्षेत्र निभा सकता है महत्वपूर्ण भूमिका: पाशा पटेल

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नयी दिल्ली, 10 अप्रैल (भाषा) बढ़ते तापमान को लेकर चिंताओं के बीच, महाराष्ट्र राज्य कृषि मूल्य आयोग के चेयरमैन पाशा पटेल ने बृहस्पतिवार को जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपाय के रूप में बांस की खेती को बढ़ावा देने में सहकारी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका की वकालत की।

पटेल को ‘बांस योद्धा’ कहा जाता है। उन्होंने केंद्रीय सहकारिता, कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालयों के बीच समन्वित प्रयासों के माध्यम से बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाने का आग्रह किया।

पटेल ने पीटीआई-भाषा से कहा, “हम पहले से ही तापमान में अत्यधिक वृद्धि देख रहे हैं। पृथ्वी को बचाने के लिए हमें अभी से कदम उठाने की जरूरत है।”

बांस के पर्यावरणीय लाभ पर प्रकाश डालते हुए पटेल ने बताया कि यह सालाना 60 टन प्रति हेक्टेयर तक कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) को सोख सकता है। यह दर कई वृक्ष प्रजातियों की तुलना में काफी अधिक है। इससे यह वायुमंडलीय सीओ2 के स्तर को कम करने के लिए एक प्रभावी माध्यम बन जाता है।

महाराष्ट्र ने पहले ही अटल बांस समृद्धि योजना शुरू कर दी है, जिसके तहत 10,000 हेक्टेयर भूमि पर बांस लगाया जाएगा, जिसके लिए केंद्र सरकार से पर्याप्त धन प्राप्त होगा। इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देते हुए जलवायु परिवर्तन से निपटना है।

पटेल ने 2050 तक वैश्विक तापमान में दो डिग्री सेल्सियस की वृद्धि की भविष्यवाणी का हवाला देते हुए देशभर में बांस की खेती का विस्तार करने की जरूरत पर बल दिया।

उन्होंने सुझाव दिया कि केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में देशभर में आठ लाख से अधिक सहकारी समितियां महाराष्ट्र से आगे विस्तार में तेजी ला सकती हैं।

भाषा अनुराग अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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