बेंगलुरु, दो सितंबर (भाषा) विप्रो कंज्यूमर केयर एंड लाइटिंग को प्रस्तावित जीएसटी सुसंगतिकरण के तहत उपभोक्ता वस्तुओं पर कर में संभावित कमी के साथ चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में उपभोक्ता मांग में सुधार होने की उम्मीद है। कंपनी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) विनीत अग्रवाल ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने पीटीआई-भाषा को दिए एक साक्षात्कार में बताया कि कंपनी, जो संतूर, चंद्रिका, यार्डली और ब्राह्मण्स जैसे ब्रांड के साथ पर्सनल केयर से लेकर खाद्य क्षेत्र में निरपारा तक, एफएमसीजी उत्पाद बेचती है, जीएसटी में कटौती का लाभ अपने उपभोक्ताओं को देगी।
अग्रवाल, जो विप्रो एंटरप्राइजेज के प्रबंध निदेशक भी हैं, ने कहा, ‘‘हां, हमें अपी सभी उत्पाद श्रेणियों में जीएसटी में कटौती का लाभ अपने ग्राहकों तक पहुंचाना चाहिए।’’
कुछ श्रेणियों में जीएसटी स्लैब को 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने के बाद, जब उत्पाद सस्ते हो जाते हैं, तो उपभोक्ताओं की जेब से खर्च कम हो जाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘उपभोक्ताओं का खर्च कम होने से उनके पास अन्य श्रेणियों में खर्च करने के लिए अधिक पैसा बचेगा। इसलिए, मुझे स्पष्ट रूप से उम्मीद है कि जीएसटी कम होने के साथ मांग बढ़ेगी।’’
अग्रवाल ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति के कारण एफएमसीजी उद्योग चुनौतियों का सामना कर रहा है, लेकिन जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था में सुधार होगा, उपभोक्ताओं की आय बढ़ेगी जिससे वे अधिक खर्च कर सकेंगे।
अग्रवाल ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि तीन चीजें – यह देखते हुए कि जीएसटी तर्कसंगत हो जाएगा और आम तौर पर मुद्रास्फीति कम हो गई है – अच्छा मानसून, उपभोक्ता धारणा में मदद करेंगी। हमें उम्मीद है कि जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, मांग में सुधार होगा।’’
अग्रवाल दो दशक से अधिक समय तक विप्रो के उपभोक्ता व्यवसाय का नेतृत्व करने के बाद अगले साल सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
विप्रो कंज्यूमर केयर एंड लाइटिंग ने दिसंबर, 2022 में निरपरा और अप्रैल, 2023 में ब्राह्मण्स का अधिग्रहण करके पैकेट बंद खाद्य उद्योग में प्रवेश किया।
वर्तमान जीएसटी व्यवस्था के तहत, खाद्य पदार्थों सहित उपभोक्ता वस्तुएं 18 प्रतिशत कर स्लैब के अंतर्गत आती हैं।
हालांकि, प्रस्तावित नई जीएसटी व्यवस्था में बिस्कुट, मसाले आदि सहित सभी खाद्य उत्पादों को पांच प्रतिशत के दायरे में रखने का प्रस्ताव है।
केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली और सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्रियों वाली जीएसटी परिषद तीन और चार सितंबर को बैठक करेगी, जिसमें केंद्र द्वारा प्रस्तावित सुधारों पर चर्चा की जाएगी। इन सुधारों के तहत अधिकांश वस्तुओं पर पांच प्रतिशत या 18 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव है।
भाषा राजेश राजेश अजय
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