(थिरुमोय बनर्जी)
नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) वाधवानी फाउंडेशन के वैश्विक अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यपालक अधिकरी अजय केला ने कहा कि भारत में नौकरियों से जुड़ा व्यापक डेटा समय की मांग है जिससे यह समझने में मदद मिल सके कि किस तरह के रोजगार के अवसर उत्पन्न हो रहे हैं और कौन से क्षेत्र नियुक्तियां कर रहे हैं।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को मंगलवार को दिए साक्षात्कार में कहा कि सरकार को अमेरिका के श्रम सांख्यिकी ब्यूरो (बीएलएस) जैसा कुछ विकसित करने पर भी विचार करना चाहिए।
अजय केला ने कहा, ‘‘ भारत में युवाओं की आबादी बहुत अधिक है। हर महीने 10 लाख लोग 18 वर्ष के हो रहे हैं और उन्हें नौकरियों की आवश्यकता होती है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे सभी लोगों के लिए नौकरियां उपलब्ध हों जिन्हें अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए नौकरी की जरूरत है।’’
अंतरिम बजट से अपनी उम्मीदों पर उन्होंने कहा, ‘‘भारत में नौकरी के क्षेत्र में ठोस डेटा की कमी है। अमेरिका के पास बीएलएस है, हमारे पास उसके जैसा कुछ नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ आप जो भी कार्यक्रम या योजनाएं लाते हैं… यह न समझ पाने के अभाव में कि कौन सी नौकरियां उत्पन्न हो रही हैं, कौन से क्षेत्र नियुक्तियां कर रहे हैं, नौकरी की मांग के संदर्भ में अगले चार-पांच साल क्या स्थिति होगी…(इससे इनका लाभ उठाने में मुश्किल होगी)’’
केला ने कहा, ‘‘ यह (डेटा) उस व्यवधान को खत्म करने में मदद करेगा जो युवा आबादी के बेरोजगार होने पर हो सकता है। हमारे लिए भी (डेटा की कमी से) जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाना मुश्किल हो जाएगा…सरकार के पास डेटा है और उसे इस पहलू पर गौर करना चाहिए।’’
भाषा निहारिका
निहारिका
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.