नई दिल्ली, आठ सितंबर (भाषा) सरकार ने कोयला खदानों से रॉयल्टी, किराया और शुल्क के देर से भुगतान की स्थिति पर लगने वाले ब्याज की दर को कम कर दिया है। सरकार ने कारोबार सुगमता को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया है।
कोयला मंत्रालय ने खनिज रियायत नियम, 1960 (एमसीआर) में संशोधन किया है, ताकि इसके कई प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से मुक्त किया जा सके।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार व्यापार और नागरिकों के लिए अनुपालन कम करने की दिशा में कदम उठा रही है।
सरकार की कारोबार सुगमता की नीति को आगे बढ़ाने के लिए एमसीआर में संशोधन कर 68 प्रावधानों को खत्म कर दिया गया है, जबकि एमसीआर के 10 प्रावधानों में जुर्माना कम किया गया है।
एमसीआर खनिज रियायतों के आवेदनों और उन्हें आवंटित करने की प्रक्रिया के नियम तय करता है, जैसे सर्वेक्षण करने का परमिट, संभावित लाइसेंस और खनन पट्टे। ये रियायतें खानों के संचालन और विकास के लिए जरूरी हैं।
बयान में कहा गया कि अतिरिक्त या कम रॉयल्टी को समायोजित करने के लिए एक नया प्रावधान जोड़ा गया है। इसके अलावा सरकार को दिए जाने वाले किराये, रॉयल्टी, शुल्क या अन्य राशि के भुगतान में देरी की स्थिति में दंडात्मक ब्याज की दर 24 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत कर दी गई है।
भाषा पाण्डेय अजय
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