नयी दिल्ली, 17 नवंबर (भाषा) इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड और अदाणी टोटल गैस लिमिटेड जैसी शहरी गैस कंपनियां सस्ती गैस की आपूर्ति में एक महीने में दूसरी बार कटौती के बाद सीएनजी की कीमतों में वृद्धि पर विचार कर रही हैं। हालांकि, सरकारी अधिकारियों का कहना है कि खुदरा विक्रेताओं को वृद्धि को उचित ठहराने के लिए लागत का ब्योरा देना होगा।
सरकार ने 16 नवंबर से पुराने फील्ड से शहर के गैस खुदरा विक्रेताओं को मिलने वाली सस्ती प्राकृतिक गैस की आपूर्ति में 20 प्रतिशत तक की कटौती कर दी है। इससे पहले 16 अक्टूबर को 21 प्रतिशत की कटौती की गई थी।
शहरी गैस खुदरा विक्रेता आईजीएल (राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के शहरों में सीएनजी की खुदरा बिक्री करने वाली), महानगर गैस लिमिटेड (मुंबई में बिक्री करने वाली) तथा अदाणी टोटल गैस लिमिटेड (गुजरात और अन्य स्थानों पर परिचालन) ने शेयर बाजार को दी सूचना में आपूर्ति में कटौती के कारण लाभप्रदता संबंधी चिंताएं जताई हैं तथा कीमतों में वृद्धि का संकेत दिया है।
हालांकि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधिकारी इससे प्रभावित नहीं हैं, क्योंकि उनका मानना है कि खुदरा विक्रेता ‘भारी’ मार्जिन पर काम करते हैं और वे अतिरिक्त लागत को आसानी से वहन कर सकते हैं, जो उन्हें नए कुओं से प्राप्त थोड़ी अधिक कीमत वाली गैस या आयातित एलएनजी से खोई हुई मात्रा की पूर्ति करने पर वहन करनी पड़ सकती है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने पूंछा, “उदाहरण के लिए आईजीएल को ही लें। इसने पिछले वित्त वर्ष (2023-24) में करीब 16,000 करोड़ रुपये की आमदनी पर 1,748 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया। यह 11 प्रतिशत का मार्जिन है। एमजीएल को 7,000 करोड़ रुपये की आय पर करीब 1,300 करोड़ रुपये का लाभ हुआ। कौन सी खुदरा कंपनी इतना मार्जिन कमाती है?”
अधिकारियों ने कहा कि सरकार कंपनियों के मुनाफा कमाने के खिलाफ नहीं है, लेकिन अगर वे कम कीमत वाली इनपुट (पुराने क्षेत्रों से गैस) चाहते हैं तो उन्हें अंतिम उत्पाद (सीएनजी) की लागत का ब्योरा भी घोषित करना चाहिए।
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