नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार ने राज्यों को सुर्खियों में आने से रोकने का प्रयास करते हुए यह अनिवार्य कर दिया है कि 2022-23 में 50 साल के लिए ब्याज मुक्त लोन पाने वाले राज्यों को उन योजनाओं के विज्ञापन में केंद्र की ब्रांडिंग करनी होगी, जिसके लिए इस राशि का इस्तेमाल किया जा रहा है. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.
एक फरवरी को अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए केंद्र सरकार ‘पूंजीगत निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता’ योजना के जरिए 50 सालों के लिए एक लाख करोड़ रुपये के ब्याज मुक्त कर्ज दिया जाएगा.
इस योजना के तहत कर्ज लेने वाले राज्यों के लिए दो शर्तें रखी गईं हैं -पहली यह कि उन्हें सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली के एकल नोडल एजेंसी (एसएनए) डैशबोर्ड पर केंद्र प्रायोजित योजनाओं के कार्यान्वयन से संबंधित सभी डेटा साझा करना होगा. इससे केंद्र को यह निगरानी करने में मदद मिलेगी कि राज्य फंड को कहां चैनलाइज और खर्च किया जा रहा है.
दूसरे प्रावधान के मुताबिक, नरेंद्र मोदी सरकार चाहती है कि राज्य एक अंडरटेकिंग पर हस्ताक्षर करें कि इस फंड का उपयोग करने वाली किसी भी योजना में सिर्फ राज्य-विशिष्ट ब्रांडिंग नहीं होगी. क्योंकि पैसा केंद्र से आ रहा है तो ब्रांडिंग भी केंद्र की होनी चाहिए, भले ही वह पैसा कर्ज के तौर पर क्यों न लिया गया हो.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘बहुत से राज्य हैं जो पैसा तो केंद्र से लेते हैं लेकिन इसका इस्तेमाल अपनी योजनाओं के लिए करते हैं और फिर इसके लिए अपने स्वयं के मुख्यमंत्री की ब्रांडिंग करते हैं. अब ऐसा नहीं होगा.’ अधिकारी ने कहा कि पैसा तभी दिया जाएगा जब केंद्र इस बात को लेकर आश्वस्त हो जाएगा कि दिए गए कर्ज के जरिए पूरी की जा रही योजनाओं में उसकी ब्रांडिंग की जाएगी.
सरकार ने अभी तक चालू वित्त वर्ष 2022-23 में योजना के तहत 30,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिसके लिए राज्यों को दो किस्तों में पैसा जारी किया जाएगा. इसलिए, भले ही विभिन्न योजनाओं के लिए राशि स्वीकृत हो चुकी हो, लेकिन केंद्र की ब्रांडिंग न होने पर राज्यों को पैसा नहीं मिलेगा.
मान लीजिए, अगर तमिलनाडु अपनी किसी योजना मसलन महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की मदद करने के लिए कर्ज से मिली राशि का इस्तेमाल करता है तो वह केवल राज्य के लोगो या अपने मुख्यमंत्री की तस्वीर के साथ इस योजना का विज्ञापन नहीं कर सकता है. उसे केंद्र सरकार के ब्रांडेड लोगो का इस्तेमाल करना ही होगा.
उपरोक्त अधिकारी ने कहा, ‘सितंबर तक, सरकार 60,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दे देगी और उम्मीद है कि दिसंबर तक 50 साल के ब्याज मुक्त कर्ज के तहत पूरा पैसा राज्यों को वितरित कर दिया जाएगा.’
2022-23 में केंद्र द्वारा पूंजी निर्माण पर 7.5 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की उम्मीद है. इसमें से एक लाख करोड़ रुपये राज्यों के लिए उनके पूंजीगत खर्च के लिए 50 साल के ब्याज मुक्त लोन के रूप में अलग रखे गए हैं.
पंद्रहवें वित्त आयोग (एफएफसी) के अनुशंसित हस्तांतरण फॉर्मूले के आधार पर एक लाख करोड़ रुपये के अस्सी प्रतिशत (यानी 80,000 करोड़ रुपये) का वितरण किया जाएगा. बाकी 20 फीसदी (20,000 करोड़ रुपये) प्रशासन के डिजिटलीकरण जैसे कुछ सुधारों को पूरा करने के बाद राज्यों को दिया जाएगा.
एफएफसी ने सिफारिश की थी कि केंद्र को 2021-22 से 2025-26 तक केंद्रीय करों का 42 प्रतिशत राज्यों को हस्तांतरित कर देना चाहिए. राज्यों को केंद्रीय करों के हस्तांतरण में सभी राज्यों को 41 प्रतिशत और साथ ही केंद्र शासित प्रदेशों लद्दाख व जम्मू और कश्मीर के लिए एक प्रतिशत पर बनाए रखा जाना था.
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ब्याज मुक्त कर्ज के लिए दिशा-निर्देश
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने ‘पूंजीगत निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता’ योजना को लागू करने के लिए 6 जुलाई को जारी अपने दिशा-निर्देशों में कहा था कि राज्यों को प्रोजेक्ट का नाम, पूंजी परिव्यय, योजना पूरा किए जाने का समय और इसकी आर्थिक वजह जैसे विवरण प्रस्तुत करने होंगे.
वित्त मंत्रालय ने तब कहा था कि राज्यों के लिए पूंजीगत कार्यों के लिए 80,000 करोड़ रुपये सुरक्षित रखे गए हैं और प्रधानमंत्री की गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जाएगी.
यह कहा गया था कि आवंटन में 5,000 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त कर्ज भी शामिल है, जो राज्यों को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निजीकरण या विनिवेश और राज्यों की संपत्ति के मुद्रीकरण के लिए राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिए दिया जाएगा.
केंद्र ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के कार्यान्वयन के लिए 4,000 करोड़ रुपये आवंटित किए थे, इसमें डिजिटलीकरण प्रोत्साहन के लिए 2,000 करोड़ रुपये, शहरी सुधारों के लिए 6,000 करोड़ रुपये और ऑप्टिकल फाइबर केबल पर पूंजीगत परियोजनाओं के लिए 3,000 करोड़ रुपये अलग से रखे गए हैं.
कोविड महामारी के मद्देनजर 2020-21 में शुरू किए गए, पूंजीगत निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता के जरिए इस योजना के शुरूआता साल में 11,830.3 करोड़ रुपये के ब्याज मुक्त लोन दिए गए थे. जबकि 14,185.8 करोड़ रुपये 2021-22 में राज्यों को हस्तांतरित किए गए.
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