मुंबई, आठ अप्रैल (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया कि जलवायु परिवर्तन के कारण बार-बार लगने वाले मौसम के झटके मौद्रिक नीति के लिए चुनौतियां पैदा करते हैं। इससे आर्थिक वृद्धि के लिए भी जोखिम भी पैदा होते हैं।
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति रिपोर्ट – अप्रैल 2024 में कहा गया है कि वैश्विक औसत तापमान बढ़ रहा है और चरम मौसम की घटनाओं (ईडब्ल्यूई) में भी वृद्धि हो रही है। वैश्विक ताप वृद्धि का आर्थिक और सामाजिक प्रभाव तेजी से स्पष्ट हो रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया कि जलवायु परिवर्तन ने मौसम के झटकों की संख्या और तीव्रता को बढ़ा दिया है, जिससे मौद्रिक नीति के लिए चुनौतियां खड़ी हो गई हैं।
आरबीआई ने कहा कि कृषि उत्पादन और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित करने वाली प्रतिकूल मौसम की घटनाओं से मुद्रास्फीति सीधे प्रभावित होती है। इस तरह जलवायु परिवर्तन का असर ब्याज दर पर भी देखने को मिल सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘इन कारणों से, केंद्रीय बैंक अपने मॉडल ढांचे में जलवायु जोखिमों को स्पष्ट रूप से शामिल कर रहे हैं।’’
इसमें कहा गया कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को रोकने के लिए नीतियों के अभाव में दीर्घकालिक उत्पादन कम हो जाएगा।
भाषा पाण्डेय अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.