नयी दिल्ली, 10 नवंबर (भाषा) कर्ज देने वाले बैंकों या वित्तीय संस्थानों के खिलाफ कर्जदारों के जवाबी मुकदमे पर दीवानी अदालतें विचार कर सकती हैं। अगर बैंक या वित्तीय संस्थान एक विशेष कानून के तहत ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) के समक्ष अलग से वसूली की कार्रवाई शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं, तो भी ऐसा किया जा सकता है।
उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को अपने आदेश में यह बात कही।
न्यायालय इस जटिल कानूनी सवाल पर विचार कर रहा था कि क्या ऐसा कर्जदार, जो डीआरटी के समक्ष बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा ऋण वसूली की कार्रवाई का सामना कर रहा है, वह वित्तीय संस्थानों के खिलाफ दीवानी अदालत में जवाबी मुकदमा दायर कर सकता है या नहीं।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा, ‘‘आरडीबी अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत बैंक के दावे के जवाब में प्रतिवादी द्वारा दीवानी वाद दायर नहीं किया जा सकता है।’’
भाषा पाण्डेय अजय
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