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Thursday, 26 December, 2024
होमदेशअर्थजगतCIBIL रिपोर्ट के मुताबिक- देश में 28% कर्जदार अब महिलाएं हैं, जिनका जोखिम प्रोफाइल पुरुषों की तुलना में बेहतर है

CIBIL रिपोर्ट के मुताबिक- देश में 28% कर्जदार अब महिलाएं हैं, जिनका जोखिम प्रोफाइल पुरुषों की तुलना में बेहतर है

क्रेडिट इंफॉर्मेशन फर्म ट्रांसयूनियन सिबिल की रिपोर्ट कहती है कि पिछले पांच सालों में देश में महिला उधारकर्ताओं की संख्या 15 फीसदी कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट के साथ बढ़ी है.

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नई दिल्ली: क्रेडिट इंफॉर्मेशन फर्म ट्रांसयूनियन सिबिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अधिक महिलाओं के कार्यबल में शामिल होने और वित्तीय रूप से ज्यादा स्वतंत्र होने के साथ 2022 में भारत में महिला उधारकर्ताओं की संख्या बढ़कर 63 मिलियन हो गई है, जो देश में कुल कर्जदारों में 28 प्रतिशत है.

सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच सालों में भारत में महिला उधारकर्ताओं की संख्या 15 प्रतिशत की कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (सीएजीआर) के साथ बढ़ी है. साथ ही, बताया गया है कि भारत में 1.4 अरब की अनुमानित जनसंख्या, जिनमें करीब 45.4 करोड़ महिलाएं हैं, में कैलेंडर वर्ष 2022 में केवल लगभग 6.3 करोड़ सक्रिय उधारकर्ता हैं.

रिपोर्ट में आगे बताया गया है, ‘महिलाओं के लिए क्रेडिट एक्सेस (कुल वयस्क आबादी के लिए उधारकर्ताओं का प्रतिशत) कैलेंडर वर्ष 2017 में 7 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 14 प्रतिशत हो गया है. दिसंबर 2022 तक लगभग 6.3 करोड़ सक्रिय महिला उधारकर्ताओं के साथ महिला कर्जदारों की वृद्धि दर (16%) पुरुषों (13%) की तुलना में अधिक तीव्र रही.’

रिपोर्ट में अन्य बातों के अलावा यह भी बताया गया है कि पुरुषों की तुलना में महिला उधारकर्ताओं का जोखिम प्रोफाइल बेहतर है, और पिछले पांच वर्षों में व्यावसायिक ऋण लेने वाली महिलाओं की संख्या तीन गुना से अधिक बढ़ी है. यह नहीं, अर्ध-शहरी और ग्रामीण स्थानों में व्यवसाय ऋण लेने वाली महिला उधारकर्ता की संख्या बढ़ी है.

ट्रांसयूनियन सिबिल की चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर हर्षला चंदोरकर कहती हैं, ‘देश के क्रेडिट मार्केट में सक्रिय भागीदार के तौर पर महिलाओं की संख्या उल्लेखनीय ढंग से बढ़ना सरकार के वित्तीय समावेशन के प्रयासों के लिहाज से अच्छा है, जिसका उद्देश्य पारंपरिक रूप से दरकिनार रहने वाले तबके, जैसे महिलाओं के लिए वित्तीय अवसरों तक पहुंच सुनिश्चित करना है.’

उन्होंने कहा, ‘तमाम सामाजिक-आर्थिक श्रेणियों, आयु-समूहों और भौगोलिक स्थानों को ध्यान में रखकर महिला उधारकर्ताओं के अनुकूल उत्पाद की पेशकश उन्हें अपनी आकांक्षाएं और आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करने में सक्षम तो बनाएगी ही, इससे क्रेडिट संस्थानों की स्थिर पोर्टफोलिया ग्रोथ भी होगी.’

कैलेंडर वर्ष 2017 और कैलेंडर वर्ष 2022 के बीच (कुल ऋण सक्रिय उधारकर्ताओं लिहाज से) शीर्ष 12 राज्यों में पश्चिम बंगाल (22 प्रतिशत), राजस्थान (21 प्रतिशत) और बिहार (21 प्रतिशत) ने महिला उधारकर्ताओं में सबसे अधिक वृद्धि देखी है.


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गोल्ड लोन में महिलाओं की ज्यादा हिस्सेदारी

एक अन्य क्रेडिट इंफॉर्मेशन फर्म सीआरआईएफ हाई मार्क के मुताबिक, दिसंबर 2022 तक महिलाओं के लिए खुदरा ऋणों का बकाया पोर्टफोलियो 26 लाख करोड़ रुपये था, और कुल खुदरा ऋणों में महिला उधारकर्ताओं की हिस्सेदारी (मूल्य के लिहाज से) दिसंबर 2021 में 25.3 प्रतिशत से बढ़कर दिसंबर 2022 में 26 प्रतिशत हो गई.

पोर्टफोलियो बकाया ऋण खाते की वर्तमान बकाया राशि को संदर्भित करता है.

सीआरआईएफ के मुताबिक, प्रमुख खुदरा ऋण उत्पादों में गोल्ड लोन में महिलाओं की सबसे अधिक हिस्सेदारी रहे, जो ऐसे ऋणों का 42 प्रतिशत हिस्सा है. जिसमें ओवरआल पोर्टफोलियो आउटस्टैंडिंग (ओपीओ) 7 लाख करोड़ रुपये है. रिपोर्ट के मुताबिक 1.3 लाख करोड़ रुपये के ओपीओ के साथ शिक्षा ऋण में उनकी हिस्सेदारी 35 प्रतिशत, ओपीओ 30 लाख करोड़ रुपये के साथ गृह ऋण में हिस्सेदारी 32 प्रतिशत और ओपीओ 7.9 लाख करोड़ रुपये के संपत्ति ऋण में हिस्सेदारी 29 प्रतिशत है.

दिसंबर 2022 में गोल्ड लोन ने महिला उधारकर्ताओं के लिए बकाया पोर्टफोलियो में साल-दर-साल 64 प्रतिशत की सबसे बड़ी वृद्धि देखी, इसके बाद दोपहिया वाहनों में 42 प्रतिशत और व्यक्तिगत ऋण में 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

माइक्रोफाइनेंस ग्राहकों में 99% महिलाएं

इसके अलावा, सा-धन (एसोसिएशन ऑफ इंपैक्ट फाइनेंस इंस्टीट्यूशंस) की भारत माइक्रोफाइनेंस रिपोर्ट 2022 के मुताबिक, माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र के लिए, ग्रॉस लोन पोर्टफोलियो 1.35 लाख करोड़ रुपये से अधिक का है, जिसमें 99 प्रतिशत महिलाओं के खाते में है.

रिपोर्ट के मुताबिक, ‘माइक्रोफाइनेंस (एमएफ) महिलाओं पर केंद्रित गतिविधि है. दुनियाभर में माइक्रोफाइनेंस का फोकस हमेशा महिलाओं की सेवा पर रहा है. भारत में भी एमएफआई के कुल ग्राहकों में महिला ग्राहकों की संख्या 99 प्रतिशत है.’

वहीं, ट्रांसयूनियन सिबिल की रिपोर्ट कहती है कि महिला कर्जदारों का जोखिम प्रोफाइल बेहतर होता है. कैलेंडर 2022 में, 57 प्रतिशत महिला उधारकर्ताओं का स्कोर 51 प्रतिशत पुरुष उधारकर्ताओं की तुलना में प्राइम (731-770) और उससे अधिक था.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘महिलाओं की तरफ से लिए जाने वाले कर्ज पर बारीकी से नजर डालें तो पता चलता है कि पर्सनल लोन और कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन जैसे उपभोग-आधारित क्रेडिट उत्पाद उनके बीच काफी लोकप्रिय हैं. यह दर्शाता है कि कार्यबल में अधिक भागीदारी और आर्थिक रूप से अधिक स्वतंत्र हासिल होने के साथ अधिक महिलाएं अपने जीवन के लक्ष्यों और आकांक्षाओं को पूरा करने के के लिए ऋण अवसरों की तलाश कर रही हैं.’

इसमें यह भी बताया गया है कि व्यवसाय के लिए ऋण लेने वाली महिलाओं की संख्या पिछले पांच सालों (कैलेंडर वर्ष 2017 से 2022 के बीच) में तीन गुना से अधिक हो गई है, जो महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप बढ़ने का संकेत है. इस अवधि में, ओवरआल बिजनेस लोन पोर्टफोलियो में महिलाओं की हिस्सेदारी में 12 फीसदी (जो 2022 में 32 प्रतिशत रही और 2017 में 20 प्रतिशत थी) बढ़ी है.

सीआरआईएफ के अनुसार, दिसंबर 2022 में 13.7 लाख करोड़ रुपये के पोर्टफोलियो आउटस्टैंडिग के साथ बिजनेस लोन में महिला कर्जदारों की हिस्सेदारी 23 फीसदी थी.

ट्रांसयूनियन सिबिल ने यह भी पाया कि अर्ध-शहरी और ग्रामीण इलाकों में भी महिला उधारकर्ताओं की संख्या बढ़ी है.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कैलेंडर वर्ष 2017 और 2022 के बीच मेट्रो और शहरी क्षेत्रों में 14% वृद्धि की तुलना में अर्ध-शहरी और ग्रामीण स्थानों में महिला उधारकर्ताओं की हिस्सेदारी 18 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ी है. अर्ध-ग्रामीण और ग्रामीण स्थानों में महिला उधारकर्ताओं की कुल हिस्सेदारी बढ़कर 62 प्रतिशत हो गई है, जो इसी अवधि के दौरान छह प्रतिशत अंकों की वृद्धि को दर्शाती है.’

(अनुवाद: रावी द्विवेदी | संपादन: आशा शाह )

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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