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छत्तीसगढ़: बिजली दरों में बढ़ोतरी के विरोध में 200 ‘मिनी स्टील प्लांट’ बंद

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रायपुर, 30 जुलाई (भाषा) छत्तीसगढ़ में बिजली दरों में हाल में हुई बढ़ोतरी के विरोध में लगभग 200 छोटे इस्पात संयंत्र मालिकों ने सोमवार रात से अपनी इकाइयां अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दीं।

इन इस्पात संयंत्रों के बंद होने से न केवल दो लाख से अधिक श्रमिक और उनके परिवार प्रभावित होंगे, बल्कि निर्माण और आवास गतिविधियों में इस्तेमाल होने वाले स्टील की कीमतों पर भी असर पड़ेगा।

‘छत्तीसगढ़ मिनी स्टील प्लांट एसोसिएशन’ के महासचिव मनीष धुप्पड़ ने कहा, ‘‘जबतक राज्य सरकार इस मुद्दे का समाधान नहीं करती है, तबतक विरोध जारी रहेगा।’’

एसोसिएशन ने इस संबंध में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को एक पत्र लिखा है और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों तथा वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों से मुलाकात कर बढ़ोतरी से राहत मांगी है।

धुप्पड़ ने कहा, ‘‘एसोसिएशन का इरादा विरोध प्रदर्शन करने का नहीं है, लेकिन बिजली दरों में बढ़ोतरी ने इन इकाइयों को चलाना लगभग असंभव हो गया है, जिससे इनके मालिकों को परिचालन बंद करने पर मजबूर होना पड़ रहा है।’’

उन्होंने कहा कि यदि सरकार ‘मिनी स्टील उद्योगों’ के सामने आ रही परेशानियों पर ध्यान नहीं देगी तो घाटे के कारण ये इकाइयां अगले कुछ महीनों में स्थायी रूप से बंद हो जाएंगी।

छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग (सीएसईआरसी) ने पिछले महीने राज्य में मौजूदा दर के मुकाबले सभी श्रेणियों के उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरों में औसतन 8.35 प्रतिशत की बढ़ोतरी की घोषणा की थी। नई दरें एक जून से प्रभावी हो गई हैं।

धुप्पड़ ने कहा कि स्टील उद्योग 6.10 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली का भुगतान कर रहे थे, लेकिन इस साल एक जून से यह दर बढ़कर 7.60 रुपये प्रति यूनिट हो गई है।

राज्य में 2003 और 2018 के बीच ‘मिनी स्टील प्लांट’ उद्योगों की बिजली दर लगभग 4.50 रुपये प्रति यूनिट थी, जिससे अन्य राज्यों के उद्योगपतियों को छत्तीसगढ़ की ओर आकर्षित करने और अपनी इकाइयां स्थापित करने में मदद मिली। लेकिन 2018 से बिजली की दरें लगातार बढ़ रही हैं, जिससे ‘मिनी स्टील उद्योगों’ के लिए मुश्किलें पैदा हो रही हैं।

उन्होंने कहा कि इस दर के अलावा ‘मिनी स्टील प्लांट’ के प्रत्येक माह के बिल में आठ प्रतिशत ‘इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी’, करीब 10 से 15 प्रतिशत ‘एफपीपीएएस (फ्यूल एंड पावर परचेज एडजस्टमेंट सरचार्ज)’ और 0.10 पैसे ‘सेस’ अलग से जोड़ा जाता है।

‘मिनी स्टील प्लांट (फर्नेस)’ उद्योग प्रति टन करीब 1,300 यूनिट बिजली की खपत करता है, जिसकी लागत करीब 8,000 रुपये प्रति टन आती है, लेकिन शुल्क में बढ़ोतरी के बाद बिजली की लागत करीब 10,000 रुपये प्रति टन आ रही है।

धुप्पड़ ने कहा कि लागत 1,800 से 2,000 रुपये प्रति टन तक बढ़ गई है। छत्तीसगढ़ के उद्योगों द्वारा निर्मित स्टील उत्पाद ओडिशा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र आदि के स्थानीय स्टील उद्योगों के साथ प्रतिस्पर्धा करके पूरे देश में बेचे जाते हैं। मध्य प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना में बिजली की दरें छत्तीसगढ़ से कम हैं। बिजली अधिशेष राज्य होने के बावजूद राज्य में बिजली महंगी है।

उन्होंने कहा ,‘‘ऐसी स्थिति में हम अपनी इकाइयों को चलाने का जोखिम नहीं उठा सकते।’’

धुप्पड़ ने कहा कि अतीत में छत्तीसगढ़ सरकार ने इस्पात उद्योगों को सब्सिडी/लोड फैक्टर प्रोत्साहन के माध्यम से सहायता प्रदान की है, जिससे वे परिचालन में बने रहें।

उन्होंने कहा कि एसोसिएशन ने इस्पात उद्योगों को पांच साल के लिए 1.40 रुपये प्रति यूनिट सब्सिडी (बिजली शुल्क में) और 15 साल के लिए बिजली शुल्क (जो वर्तमान में आठ प्रतिशत है) से छूट की मांग की थी।

मिनी स्टील प्लांट, स्पॉन्ज आयरन से कच्चे माल का उत्पादन करते हैं, जिसमें टीएमटी बार और स्टील रॉड शामिल हैं।

इस बीच, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के एक अधिकारी ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में मुद्रास्फीति दर में वृद्धि की तुलना में दरों में मामूली वृद्धि की गई है। सीएसईआरसी ने उच्च वोल्टेज स्टील उद्योगों के ऊर्जा शुल्क में केवल 25 पैसे (4.10 प्रतिशत) की वृद्धि की थी और जून से 6.35 रुपये प्रति यूनिट निर्धारित किया था (जो पहले 6.10 रुपये था)।

नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने बताया कि लोड फैक्टर पर छूट 25 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दी गई है, जिससे अन्य श्रेणियों तथा सामाजिक-आर्थिक प्राथमिकता वाले उपभोक्ताओं को इसका बोझ न उठाना पड़े। हालांकि, हाई वोल्टेज स्टील उद्योगों को अभी भी शुल्क में लोड फैक्टर पर छूट के जरिये 713 करोड़ रुपये की रियायत दी जा रही है।

अधिकारी ने कहा कि यह छूट किसी अन्य श्रेणी के उपभोक्ताओं को नहीं दी जाती है।

उन्होंने कहा कि राज्य में स्टील उद्योगों के लिए 2017-18 में ऊर्जा शुल्क छह रुपये प्रति यूनिट था, जो अब केवल 6.35 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंच गया है, जबकि महाराष्ट्र में यह 8.36 रुपये, तेलंगाना में 8.10 रुपये और मध्य प्रदेश में 7.15 रुपये है।

भाषा संजीव राजकुमार अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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