जम्मू, 15 अप्रैल (भाषा) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने मार्च 2020 तक 10,441 करोड़ रुपये खर्च के उपयोग प्रमाणपत्र पेश कर पाने में नाकाम रहने को लेकर जम्मू-कश्मीर सरकार को फटकार लगायी और इसके लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने को कहा है।
जम्मू-कश्मीर के वित्त के बारे में पेश कैग की नवीनतम रिपोर्ट के मुताबिक, राशि व्यय से संबंधित उपयोग प्रमाणपत्र पेश नहीं कर पाने का मतलब है कि अधिकारी पिछले वर्षों में खर्च की गई राशि के तौर-तरीके नहीं बता पाए हैं। इसके साथ ही इसमें सरकारी वित्त का खर्च बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने का जोखिम भी है।
उपयोग प्रमाणपत्र में यह प्रमाणित किया जाता है कि किसी सरकारी निकाय द्वारा जुटाए गए वित्त को घोषित उद्देश्यों के लिए ही खर्च किया गया है।
वित्तीय नियमों के मुताबिक किसी खास मकसद के लिए दिए गए अनुदान के मामले में विभाग के अधिकारियों को कोष देने वाले से उपयोग प्रमाणपत्र लेना चाहिए और 18 महीनों के भीतर सत्यापन कर राज्य के महालेखाकार के पास भेज देना चाहिए।
जम्मू-कश्मीर पर पेश अपनी रिपोर्ट में कैग ने कहा है कि 10,441.58 करोड़ रुपये खर्च से संबंधित 2,205 उपयोग प्रमाणपत्र सरकार की तरफ से नहीं पेश किए जा सके हैं। इनमें से 5,972.99 करोड़ रुपये के 1,370 उपयोग प्रमाणपत्रों को एक साल से अधिक समय से पेश नहीं किया गया है।
इनमें से करीब 86 फीसदी प्रमाणपत्र शिक्षा, पर्यटन, स्वास्थ्य, कृषि, आवास विभागों से संबंधित थे। बकाया प्रमाणपत्रों में अकेले शिक्षा विभाग की ही हिस्सेदारी 55.53 फीसदी है।
जम्मू कश्मीर सरकार के आंकड़े बताते हैं कि पिछले कई वर्षों से ये प्रमाणपत्र नहीं जमा किए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 30 अक्टूबर 2019 तक बकाया 2,029 उपयोग प्रमाणपत्रों में से 304 वर्ष 2014-15 से ही बकाया हैं।
कैग ने सरकारी खर्च के उपयोग प्रमाणपत्र नहीं जमा करने के साथ वित्त के दुरुपयोग का जोखिम होने की आशंका जताते हुए कहा है, ‘राज्य सरकार को इस पहलू पर गौर करना चाहिए और समयबद्ध तरीके से उपयोग प्रमाणपत्र जमा करने के लिए संबंधित लोगों की जिम्मेदारी तय करनी चाहिए।’’
भाषा प्रेम रमण
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