नयी दिल्ली, पांच सितंबर (भाषा) भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने गुरुग्राम में एम्मार इंडिया लिमिटेड और अन्य के खिलाफ ‘मारबेला’ विला परियोजना के संबंध में प्रभुत्व के दुरुपयोग एवं प्रतिस्पर्धा-विरोधी व्यवहार का आरोप लगाने वाली शिकायत को खारिज कर दिया है।
निष्पक्ष व्यापार नियामक सीसीआई द्वारा पारित आदेश के अनुसार, ‘‘ आयोग ने पाया कि इस मामले में विपक्षी पक्षों के विरुद्ध अधिनियम की धारा तीन और चार के प्रावधानों के उल्लंघन का प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता है।’’
धारा तीन व चार क्रमशः प्रतिस्पर्धा-विरोधी समझौतों और प्रभुत्वशाली स्थिति के दुरुपयोग से संबंधित हैं।
यह मामला एक मुखबिर द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत पर आधारित था। इसमें आरोप लगाया गया था कि एम्मार इंडिया लिमिटेड, उसकी समूह कंपनी एम्मार इंडिया कम्युनिटी मैनेजमेंट तथा हरियाणा के नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग और डीपीआईआईटी के माध्यम से भारत संघ सहित कई सरकारी विभागों ने प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा तीन एवं चार का उल्लंघन किया है।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि एम्मार ने परियोजना के क्षेत्र एक और छह के अंतर्गत 97 खाली भूखंडों पर बिल्डर फ्लोर और गैर-विला आवासीय इकाइयों के निर्माण की अनुमति देकर अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग किया। इन विला को मूल रूप से एक विशिष्ट ‘सिग्नेचर विला कम्युनिटी’ के हिस्से के रूप में प्रचारित किया गया था।
सीसीआई ने पाया कि डीएलएफ, गोदरेज, टाटा हाउसिंग, सिग्नेचर ग्लोबल और वाटिका ग्रुप जैसे कई बड़े डेवलपर भी विला खंड में सक्रिय हैं और उपभोक्ताओं को विकल्प प्रदान कर रहे हैं।
नियामक का मानना है कि प्रथम दृष्टया एमार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड गुरुग्राम में विला के विकास एवं बिक्री के लिए सेवाओं के संबंध में प्रासंगिक बाजार में प्रमुखता नहीं रखती है। संबंधित बाजार में एम्मार इंडिया के प्रभुत्व के अभाव के कारण प्रभुत्व के दुरुपयोग के आरोपों की जांच करने की कोई आवश्यकता नहीं है। इसलिए अधिनियम की धारा चार के अनुसार प्रभुत्व के दुरुपयोग का कोई मामला नहीं हो सकता।
सीसीआई ने कहा कि प्रतिस्पर्धा नियामक का मानना है कि मानदंडों के प्रावधानों के तहत इन संस्थाओं के खिलाफ कोई मामला नहीं बनाया जा सकता।
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