नयी दिल्ली, 27 मार्च (भाषा) कार्बन उत्सर्जन आधारित कराधान प्रणाली ने विकसित देशों में एक मिसाल कायम की है और भारत को भी वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्य के साथ विद्युतीकरण तथा अन्य प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के लिए इसे अपनाने पर विचार करना चाहिए। टोयोटा की लग्जरी कार इकाई लेक्सस के एक शीर्ष अधिकारी ने यह कहा।
लेक्सस इंडिया के अध्यक्ष नवीन सोनी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमने विकसित देशों में देखा है कि वाहन कराधान नीतियों को परिभाषित करने के किसी भी अन्य तरीके के मुकाबले कार्बन आधारित कराधान अधिक अहम है और हमें लगता है कि यह कई उद्देश्यों को हल करता है।’’
कार कंपनी ने दीर्घकालिक नीति रूपरेखा के महत्व पर भी जोर दिया जो मूल उपकरण विनिर्माता (ओईएम) को नई प्रौद्योगिकियों और उत्पादों में निवेश करने के लिए प्रेरित करती हो। सोनी ने कहा, ‘‘हम भी बेहतर प्रौद्योगिकी देना चाहते हैं। अभी कुछ सीमाएं हैं लेकिन अगर कार्बन आधारित कराधान प्रणाली स्पष्ट होती है, तो विशेष रूप से प्रौद्योगिकी की दिशा में प्रतिबद्धता व्यक्त करने का हमारा विश्वास मजबूत होगा और यह देश के साथ-साथ उपभोक्ता हित में भी होगा।’’
सोनी ने कहा कि सरकार चाहती है कि उत्सर्जन कम हो और देश का ईंधन आयात नियंत्रण में आए जबकि उपभोक्ता बेहतर प्रौद्योगिकी चाहते हैं।
कार्बन कराधान प्रणाली में प्रति टन कार्बन उत्सर्जन के लिए कीमत तय होती है और कम कार्बन उत्सर्जन पर प्रोत्साहन मिलता है।
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