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Thursday, 3 October, 2024
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मंत्रिमंडल ने कोयला युक्त क्षेत्र अधिनियम के तहत अधिग्रहीत भूमि के उपयोग की नीति को मंजूरी दी

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नयी दिल्ली, 13 अप्रैल (भाषा) केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कोयला और ऊर्जा से संबंधित अवसंरचना की स्थापना और विकास के लिए खनन की जा चुकी भूमि के इस्तेमाल संबंधी नीति को बुधवार को मंजूरी दी।

यह नीतिह ऐसी भूमि के उपयोग के लिए स्पष्ट रूपरेखा देती है जिनमें खनन हो चुका है या जो खनन के लिए व्यावहारिक रूप से अनुपयुक्त है या फिर कोयला खनन गतिविधियों के लिए आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं है।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘कोयला क्षेत्र में निवेश तथा रोजगार सृजन को बढ़ाने के उद्देश्य से केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कोयला युक्त क्षेत्र (अधिग्रहण एवं विकास) अधिनियम, 1957 (सीबीए अधिनियम) के तहत अधिग्रहीत भूमि के उपयोग के लिए नीति को मंजूरी दी है। इस नीति में कोयला और ऊर्जा से संबंधित अवसंरचना के विकास तथा स्थापना के उद्देश्य से ऐसी भूमि के उपयोग का प्रावधान है।’’

सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला कंपनियां, जैसे कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) और इसकी अनुषंगी, सीबीए अधिनियम के तहत अधिग्रहीत इन भू-क्षेत्रों की मालिक बनी रहेंगी और इस नीति के तहत केवल नीति में दिए गए निर्दिष्ट उद्देश्यों के लिए ही भूमि को पट्टे पर दिया जा सकेगा।

बयान में कहा गया कि कोयला और ऊर्जा संबंधी अवसंरचना विकास गतिविधियों के लिए सरकारी कोयला कंपनियां संयुक्त परियोजनाओं में निजी पूंजी लगा सकती हैं।

भाषा मानसी अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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