नयी दिल्ली, नौ जुलाई (भाषा) सीआईआई का कारोबारी विश्वास सूचकांक अप्रैल-जून तिमाही में इससे पिछली तिमाही की तुलना में बढ़कर 66.1 हो गया है। जनवरी-मार्च की तिमाही में यह 64 पर था।
माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह, हवाई और रेल यात्रियों की संख्या जैसे आंकड़ों में बढ़ोतरी से सकारात्मक रुझान का पता चलता है।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के कारोबारी परिदृश्य सर्वे में शामिल 180 कंपनियों में से 63 प्रतिशत का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) वृद्धि दर छह से सात प्रतिशत रहेगी। हालांकि, यह पिछले वित्त वर्ष के 7.2 प्रतिशत के आंकड़े से कम है। वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताओं का असर भारत की वृद्धि दर पर भी पड़ेगा।
सर्वे में कहा गया है, ‘‘वृद्धि की रफ्तार को कायम रखने के लिए जरूरी है कि केंद्रीय बैंक प्रमुख नीतिगत दरों में बदलाव नहीं करे। सर्वे में शामिल 53 प्रतिशत कंपनियों को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में रिजर्व बैंक प्रमुख ब्याज दर के मोर्चे पर यथास्थिति बनाए रखेगा।’’
सर्वे में शामिल 65 प्रतिशत कंपनियों का कहना था कि चालू वित्त वर्ष में निजी निवेश की रफ्तार कायम रहेगी।
सर्वे के नतीजों से यह भी पता चलता है कि 62 प्रतिशत प्रतिशत कंपनियों का मानना है कि वैश्विक वृद्धि सुस्त रहेगी। भू-राजनीतिक संकट चालू वित्त वर्ष में प्रमुख कारोबारी चिंता रहेगा।
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, “चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सीआईआई के कारोबारी विश्वास सूचकांक में जो सकारात्मक रुख दिखाई दिया है, वह उत्साहजनक है। मांग में सुधार से कई क्षेत्रों में क्षमता इस्तेमाल बढ़ा है जिससे इस साल निजी निवेश को और रफ्तार मिलेगी।’’
सर्वेक्षण के अनुसार, रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दर में बढ़ोतरी को रोकने से भारतीय उद्योग जगत के लिए पूंजी की लागत में कमी आने की उम्मीद है, जिससे नए निवेश को बढ़ावा मिलेगा और निजी पूंजीगत व्यय बढ़ेगा।
सर्वे में शामिल आधी से ज्यादा यानी 52 प्रतिशत कंपनियों का मानना है कि अप्रैल-जून में क्षमता इस्तेमाल 75 से 100 प्रतिशत के बीच रहेगा। इससे पिछली तिमाही में यह 45 प्रतिशत था।
भाषा अजय अजय अनुराग
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