नई दिल्ली / मुंबई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास निर्णायक चुनाव जीतने के बाद यह पहला मौका है कि वह सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था की ख़त्म होती प्रतिष्ठा को फिर से बढ़ावा दे सकते हैं.
नवनियुक्त वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के शुक्रवार को अपने पहले बजट में खर्च को बढ़ावा देने और उपभोक्ताओं को कर में राहत देने की उम्मीद है. ब्लूमबर्ग न्यूज़ सर्वेक्षण के अनुसार एक अप्रैल से शुरू होने वाले सकल घरेलू उत्पाद के बजट अंतर को संभवत: 3.5 प्रतिशत तक बढ़ा देगा. फरवरी के अंतरिम खर्च की योजना में 3.5 प्रतिशत लक्षित किया गया था.
2019 के पहले तीन महीनों में विकास दर पांच साल के सबसे निचले स्तर पर 5.8 प्रतिशत से भी कम रही. जोकि चीन के 6.4 प्रतिशत विकास दर से कम थी, जिसने मोदी पर एक आर्थिक स्टिमुलस पैकेज लाने का दबाव बनाया. जिससे खपत बढ़े. जोकि अर्थव्यवस्था की नीव का पत्थर है. विश्व अर्थव्यवस्था का भविष्य आशा देने वाला नहीं है, दुनियाभर में बढ़े हुए व्यापार तनावों के बीच भारतीय रिज़र्व बैंक ने तीन बार ब्याज दरों में कटौती की है. अब ध्यान सरकार पर है कि वो अपनी भूमिका निभाये.
मुंबई में भारतीय स्टेट बैंक समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा अगले बजट बनाने की कवायद में विकास का ध्येय को पूरा करने के लिए वित्त मितव्ययता को ताक पर रखना पड़ सकता है. एक विशेष राजकोषीय संख्या से चिपके रहना वर्तमान परिदृश्य में उतना महत्वपूर्ण नहीं है.’
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निर्मला सीतारमण को इस बात का ख्याल रखना होगा की कैसे बिना क्रेडिट रेटिंग को कम किए और बांड मार्केट में खलबली मचाए बड़े हुए बजट घाटे से समन्वय बनाया जा सके. इसको करने की कुंजी होगी अतिरिक्त राजस्व की उपलब्धता जिससे बढ़े हुए खर्च की भरपाई हो जाए और उधार पर नियंत्रण रखा जा सके.
बजट से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातें -:
कर
खपत कर और सीमा शुल्क से राजस्व पिछले साल के लक्ष्य के पूरा नहीं कर पाया और सीतारमण पर कर का बोझ बढ़ाए बिना कल्याण कार्यक्रमों को निधि देने के लिए अतिरिक्त संसाधन खोजने की आवश्यकता होगी. मामले से परिचित लोगों के अनुसार, बजट में कुछ लोगों के लिए व्यक्तिगत आयकर सीमा को बढ़ाकर उसे उपभोक्ताओं को राहत देने की उम्मीद है.
सुवोदीप रक्षित कोटक महिंद्रा बैंक के एनालिस्ट का अनुमान है कि अंतरिम बजट में पूर्वानुमान की तुलना में कर राजस्व शायद 1.4 ट्रिलियन रुपये (20 अरब डॉलर) कम होगा. विश्लेषकों ने कहा, ‘यह राजकोषीय गणित के लिए सबसे महत्वपूर्ण खतरा होगा.’
संपत्ति बिक्री
सरकार राजस्व बढ़ाने में मदद करने के लिए राज्य द्वारा संचालित कंपनियों में शेयर बेच सकती है. पिछले साल इसने कोल इंडिया लिमिटेड और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड जैसी परिसंपत्तियों को बेचने से 850 अरब रुपये जुटाए शुभदा राव यस बैंक एनालिस्ट के अनुसार विनिवेश लक्ष्य 1 ट्रिलियन रुपये आंका जा सकता है, जो अंतरिम बजट में 900 बिलियन से अधिक है.
शैडो बैंक्स
बाज़ार को सीतारमण को उन उपायों का इंतज़ार होगा. जो कि वित्तीय क्षेत्र के संकट को दूर कर पाये, खासकर शैडो लैन्डर्स पर उभरे खतरे पर. विकास दर को नीचे खींचने में गैर-बैंकिंग क्षेत्र की वित्त कंपनियों के पास पैसे की कमी एक बड़ा कारण थी. इसके कारण उनकी ऋण देने की क्षमता कम हुई थी. जिसके कारण खपत सिमट गई.
एसबीआई के घोष ने कहा कि चूंकि भारत के शैडो बैंकों का धन रियल एस्टेट क्षेत्र में लगा हुआ है. इसलिए संपत्ति लेनदेन पर कर की दर को कम करने के लिए कोई भी उपाय इस क्षेत्र को फायदा पहुंचा सकता है.
अतिरिक्त भंडार
सरकार अपने राजस्व को बढ़ाने और घाटे को कम करने में मदद करने के लिए आरबीआई से उच्च लाभ की मांग कर रही है और बजट इस बात पर एक अस्थायी आंकड़ा दे सकता है कि शेष वित्तीय वर्ष के लिए कितना ट्रांसफर किया जाएगा. केंद्रीय बैंक हर साल राज्य को लाभांश देता है और फरवरी में 280 अरब रुपये का अंतरिम भुगतान करता है. सरकार आरबीआई को अपना योगदान बढ़ाने के लिए जोर दे रही है. वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का अनुमान है कि केंद्रीय बैंक के पास 3.6 ट्रिलियन रुपये की अधिशेष पूंजी है. पूर्व केंद्रीय बैंक के गवर्नर बिमल जालान की अगुवाई में एक पैनल आरबीआई के पूंजी ढांचे का अध्ययन करने के लिए स्थापित किया गया था और इसे अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है.
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व्यय
मोदी की भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख चुनावी वादों में से एक अगले पांच वर्षों में सड़कों, रेलवे और अन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए 1.44 ट्रिलियन डॉलर खर्च करना था. सीतारमण को इस योजना के विवरण के साथ-साथ कृषि और अन्य क्षेत्रों में निवेश की रूपरेखा तैयार करनी है. जो विकास की रफ़्तार में गति दें सकते हैं. बाजार इस बात की भी तलाश कर रहे हैं कि अगले साल बड़े पैमाने पर 1.06 ट्रिलियन रुपये की योजना के बाद सरकार राज्य के स्वामित्व वाले बैंकों में कितना निवेश करेगी.
आईआईएम कलकत्ता में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर पार्थ रे ने कहा, ‘अब जब चुनाव खत्म हो चुके हैं और देश ने एक स्पष्ट निर्णय दे दिया है, तो इस बजट में संरचनात्मक सुधारों की मेजबानी के लिए कुछ कठोर निर्णय लेने चाहिए, जो कॉर्पोरेट निवेश को ट्रिगर करेगा.
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