नयी दिल्ली, नौ नवंबर (भाषा) करीब चार महीने से हड़ताल पर चल रहे ईंट निर्माताओं ने सरकार से ईंट पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) दर छह प्रतिशत से घटाकर पहले के एक प्रतिशत के स्तर तक कम करने की मांग की है।
ऑल इंडिया ब्रिक एंड टाइल मैन्युफैक्चरर्स फेडरेशन (एआईबीटीएमएफ) के महासचिव ओमवीर सिंह भाटी ने यहां एक कार्यक्रम के दौरान पीटीआई-भाषा को बताया कि नयी जीएसटी दर एक अप्रैल, 2022 से प्रभावी है।
इससे पहले कंपोजिशन स्कीम के तहत ईंट निर्माताओं पर एक प्रतिशत जीएसटी लगता था।
उन्होंने कहा, ‘‘हम कठिन समय का सामना कर रहे हैं। पूरे देश में हमारे भट्टे इस समय बंद हैं क्योंकि मांग के अभाव और उच्च लागत के कारण हमारे लिए कारोबार करना मुश्किल हो रहा है। हम सरकार से जीएसटी को कम करने की मांग करते हैं।’’
उन्होंने ईट बनाने वाली इकाइयों के बंद होने के कारणों का हवाला देते हुए कहा कि पिछले तीन से चार महीनों से भट्ठा मालिक देशव्यापी हड़ताल पर हैं।
डेढ़ करोड़ रुपये तक के कारोबार करने वाले व्यवसायों पर एक प्रतिशत जीएसटी था। एआईबीटीएमएफ के अधिकांश सदस्यों का कारोबार इसी सीमा में है।
भाटी ने इस मुद्दे के बारे में कहा कि हालांकि, सरकार ने केवल ईंट उद्योग के लिए जीएसटी को बढ़ाकर छह प्रतिशत कर दिया है और यह दूसरी अन्य चीजों के लिए पहले की ही तरह है।
उन्होंने कहा कि जीएसटी दर में वृद्धि का निर्णय पिछले साल जीएसटी परिषद की बैठक में लिया गया था। उन्होंने कहा कि ईंटों के लिए कच्चे माल में से एक कोयले पर भी जीएसटी दर को पहले के पांच प्रतिशत की तुलना में बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया है।
यह एक श्रम प्रधान उद्योग है और सरकार को जीएसटी बढ़ाने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। भारत में लगभग 1.5 लाख से अधिक ईंट भट्टे हैं। भाटी ने कहा कि बंद के कारण करीब तीन करोड़ कर्मचारी काम से दूर हैं।
भाषा राजेश राजेश अजय
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