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Sunday, 22 December, 2024
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LAC पर तनाव के बावजूद भारत से चीन को लोहे व इस्पात के निर्यात में उछाल- अप्रैल से अगस्त तक 1.86 बिलियन डॉलर का कारोबार

इस वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में, भारत से चीन को होने वाला लोहे और इस्पात का कुल निर्यात, 2019-20 वित्त वर्ष के कुल निर्यात के, तीन गुना से भी अधिक था.

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नई दिल्ली: भारत से चीन को होने वाले, तैयार और अर्ध तैयार स्टील के निर्यात में, इस वित्त वर्ष में तेज़ी से उछाल देखा गया है, जिसकी वजह चीन की कोविड-19 महामारी से तेज़ी से आर्थिक रिकवरी है, और जो दोनों पड़ोसियों के बीच लद्दाख़ में बढ़ते तनाव के बीच हुआ है.

इस वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में, भारत से चीन को होने वाला लोहे और इस्पात का कुल निर्यात, 2019-20 वित्त वर्ष के कुल निर्यात के, तीन गुना से भी अधिक था.

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है, कि अप्रैल-अगस्त 2020 के बीच, चीन को 1.86 बिलियन डॉलर्स का लोहे व इस्पात का निर्यात हुआ, जो 2019-20 के पूरे साल में 514 मिलियन डॉलर था.

Infographic: Ramandeep Kaur | ThePrint

आंकड़ों के मुताबिक़ इनमें से दो-तिहाई से ज़्यादा निर्यात, हॉट-रोल्ड प्रोडक्ट्स और लोहा तथा गैर-मिश्र धातु इस्पात के, अर्ध-तैयार उत्पादों का था.

Infographic: Ramandeep Kaur | ThePrint

साल 2020-21 के पहले पांच महीनों में भारत ने, 889 मिलियन डॉलर के लोहा तथा गैर-मिश्र धातु इस्पात के, अर्ध-तैयार उत्पाद निर्यात किए, जबकि पूरे 2019-20 में ये निर्यात 107.24 मिलियन का था. इस वर्ष लोहा तथा गैर-मिश्र धातु इस्पात के, हॉट-रोल्ड प्रोडक्ट्स का निर्यात 637 मिलियन डॉलर का है, जबकि पिछले साल ये केवल 23 मिलियन डॉलर था.Infographic: Ramandeep Kaur | ThePrint


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चीन से मांग में उछाल

इंडियन स्टील एसोसिएशन के महासचिव भास्कर चटर्जी ने बताया, कि भारतीय स्टील का लगभग 60 प्रतिशत निर्यात, चीन और वियतनाम जैसे देशों को होता है.

ई-मेल से दिए अपने जवाब में चटर्जी ने कहा, ‘चीन और वियतनाम से स्टील की मांग बढ़ने का कारण ये है, कि वो महामारी से तेज़ी से उबरे हैं. चीन के लिए एक और कारण है सिलसिलेवार प्रोत्साहन पैकेज, मौद्रिक और राजकोषीय दोनों, जिनमें इनफ्रास्ट्रक्चर और कंस्ट्क्शन सेक्टर के लिए, कुछ सेक्टर-विशेष प्रोत्साहन पैकेज भी शामिल हैं. इस प्रोत्साहन की वजह से, चीन में स्टील की मांग और स्टील उत्पादों का दाम, दोनों ऊंचे बने रहे’.

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशंस के महानिदेशक और सीईओ, अजय सहाय ने ये भी कहा कि चीन सोच समझकर, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मूल्य-वर्धित उत्पादन की तरफ ज़्यादा शिफ्ट कर रहा है.

सहाय ने कहा, ‘बढ़ी हुई मांग का एक कारण ये भी है, कि दूसरे देशों के मुक़ाबले, चीन ज़्यादा तेज़ी से कोविड से उबरा है’.

मांग में इस उछाल के कारण, भारत के लोहे और इस्पात के निर्यात में चीन का हिस्सा, 2019-20 के पूरे साल में, 5.5 प्रतिशत से बढ़कर 35 प्रतिशत हो गई है.

Infographic: Ramandeep Kaur | ThePrint

इसका मतलब है कि लद्दाख़ में गतिरोध की वजह से, जहां भारत और चीन के बीच रिश्ते सबसे निचले स्तर पर हैं, भारत के निर्यात और आयात बास्केट में चीन की हिस्सेदारी, इस वित्त वर्ष में बढ़ गई है. भारत के कुल निर्यात में चीन की हिस्सेदारी, 2019-20 में 5.3 प्रतिशत से बढ़कर, मौजूदा वर्ष में बढ़कर 9 प्रतिशत हो गई है. वहीं आयात में, 13.7 प्रतिशत से बढ़कर 18 प्रतिशत हो गई.

Infographic: Ramandeep Kaur | ThePrint

भारत अब तैयार स्टील निर्यात करता है, कच्चा लोहा नहीं

21 अक्तूबर की एक रिपोर्ट में, केयर रेटिंग्स ने कहा था कि तैयार स्टील के कुल उत्पादन में, तैयार स्टील के निर्यात की कुल हिस्सेदारी अप्रैल-अगस्त 2020 में अपने चरम पर थी- ये आंकड़ा 21 प्रतिशत था, जबकि अप्रैल-अगस्त 2019 में ये 8 प्रतिशत, और 2018 की इसी अवधि में 6 प्रतिशत था.

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि अप्रैल-मई में कोविड से उत्पन्न लॉकडाउन ने, देसी मांग को गिरा दिया था, और अपनी इनवेंट्री क़ाबू रखने के लिए, स्टील निर्माताओं को मजबूरन निर्यात बाज़ारों की ओर देखना पड़ा.

केयर रेटिंग्स की रिपोर्ट में कहा गया, ‘देसी स्टील कंपनियों ने मई और जून 2020 के दौरान, स्टील उत्पादों का निर्यात बढ़ा दिया, चूंकि देसी मांग गिर गई थी और चीन तथा दूसरे निर्यात स्थलों से, मांग अपेक्षाकृत बढ़ गई थी’.

चटर्जी भी इस बात से सहमत थे, कि लॉकडाउन और देसी बाज़ार में कम मांग होने से, व्यापार के रुझान में तेज़ी से बदलाव आया है.

चटर्जी ने कहा, ‘भारत से तैयार स्टील उत्पादों के कुल निर्यात में, काफी वृद्धि दर्ज की गई. मई, जून और जुलाई के महीनों में, पिछले साल इसी अवधि के मुकाबले, देश के कुल निर्यात में औसतन 200 प्रतिशत का इज़ाफा हुआ. जून 2020 में, कुल निर्यात 1.5 मिलियन टन पहुंच गया, जो जून 2019 की अपेक्षा 334 प्रतिशत ज़्यादा है’.

लेकिन, उन्होंने आगे कहा: ‘तैयार स्टील उत्पादों के आयात में काफी कमी दर्ज हुई है. अप्रैल से अगस्त की अवधि में देश के आयात में, पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुक़ाबले, 51.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई’.

इस बीच सहाय ने कहा कि कंपनियां अब प्रतियोगी हो रही हैं, और ये भारत की निर्यात टोकरी में आए क्रमिक बदलाव में प्रतिबिंबित होता है, जो कच्चे माल के निर्यात से बदलकर, तैयार उत्पादों के निर्यात में बदल रहा है.

उन्होंने कहा, ‘ये चीज़ सिर्फ स्टील में ही नहीं बल्कि कॉटन में भी ज़ाहिर है’. उन्होंने आगे कहा स्टील सेक्टर में ये बदलाव, दो साल पहले शुरू हो गया था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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