(राधा रमण मिश्रा)
नयी दिल्ली, 25 मई (भाषा) बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि शेयर बाजार में अस्थिरता के बीच बॉन्ड एक भरोसेमंद निवेश विकल्प के रूप में उभरा है। देश में महंगाई के साथ अमेरिकी शुल्क को लेकर चिंता और वैश्विक स्तर पर तनाव समेत अन्य कारणों से उत्पन्न अनिश्चितताओं से जहां एक तरफ शेयर बाजार प्रभावित हो रहा है, वहीं बॉन्ड लगातार निश्चित रिटर्न प्रदान कर रहा है।
उनका यह भी कहना है कि जोखिम लेने से बचने वाले और निश्चित आय चाहने वाले लंबी अवधि के निवेशकों के लिए बॉन्ड सुरक्षित निवेश यानी स्थिर आय की गारंटी देता है।
आनंद राठी ग्लोबल फाइनेंस के उपाध्यक्ष श्रीशा आचार्य ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव है। पिछले तीन माह (23 मई, 2025 तक) में निफ्टी 50 सूचकांक में 5.4 प्रतिशत की गिरावट आई है। वहीं बॉन्ड लगातार एक निश्चित रिटर्न दे रहा है। सरकारी प्रतिभूतियां सालाना 6.2 से 6.8 प्रतिशत रिटर्न दे रही हैं जबकि उच्च रेटिंग वाले कॉरपोरेट बॉन्ड सालाना 6.8 से 7.5 प्रतिशत रिटर्न दे रहे हैं। यानी कुल मिलाकर बॉन्ड एक भरोसेमंद विकल्प के रूप में उभरा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जोखिम से बचने वाले और दीर्घकालिक निवेशकों के लिए, शेयर बाजार में गिरावट की स्थिति में बॉन्ड एक सुरक्षा प्रदान करता है और विविधीकरण के माध्यम से निवेश के मोर्चे पर अस्थिरता को 30 प्रतिशत तक कम करते हैं।’’
वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनी और डिजिटल बॉन्ड निवेश मंच इंडिया बॉन्ड्स के सह-संस्थापक विशाल गोयनका ने कहा, ‘‘शेयर बाजारों में मौजूदा अनिश्चितता के बीच बॉन्ड रिटर्न के मोर्चे पर स्थिरता प्रदान करता है। जहां शेयर बाजार की चाल वैश्विक स्तर पर वृहद आर्थिक बदलाव, भू-राजनीतिक तनाव और केंद्रीय बैंक के कदमों के अनुसार प्रभावित होती है, वहीं विशेष उच्च रेटिंग वाले बॉन्ड भरोसेमंद नकदी प्रवाह और पूंजी संरक्षण प्रदान करते हैं। कई निवेशकों के लिए यह एक तरह का सहारा है जिसकी उन्हें अस्थिर वित्तीय माहौल में जरूरत होती है।’’
उल्लेखनीय है कि पिछले पांच साल (2020 से 2025) में निफ्टी 50 सूचकांक ने संचयी रूप से 19.8 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। हालांकि, यह इक्विटी बाजार के मजबूत प्रदर्शन को दर्शाता है, लेकिन इसमें काफी उतार-चढ़ाव भी रहा। वहीं सुरक्षित निवेश माने जाने वाले सोने पर रिटर्न संचयी रूप से सालाना 16.32 प्रतिशत रहा। दस साल की अवधि वाले सरकारी बॉन्ड पर रिटर्न औसतन 6.19 प्रतिशत और उच्च श्रेणी के कॉरपोरेट बॉन्ड (एएए रेटिंग वाले) पर संचयी रूप से सालाना रिटर्न 6.9 प्रतिशत रहा है।
बीते वित्त वर्ष 2024-25 में देखा जाए तो मुद्रास्फीति और वृहद आर्थिक चिंताओं के बीच सोने ने 41.5 प्रतिशत का रिटर्न दिया जबकि निफ्टी-50 ने 7.44 प्रतिशत का मामूली रिटर्न दिया है। वहीं 10 साल की सरकारी प्रतिभूतियों पर औसत रिटर्न 6.89 प्रतिशत जबकि उच्च श्रेणी के कॉरपोरेट बॉन्ड यानी ‘एएए’ रेटिंग वाले बॉन्ड पर 8.03 प्रतिशत का रिटर्न मिला।
गोयनका ने कहा, ‘‘रिटर्न को देखने पर एक बात जो बात सबसे अलग है वह यह है कि जहां इक्विटी और सोने में तेज उतार-चढ़ाव देखा गया है, वहीं बॉन्ड प्रतिफल खास तौर पर सरकारी प्रतिभूतियों और उच्च रेटिंग वाले बॉन्ड ने स्थिर और भरोसेमंद आय प्रदान की है। यह स्थिरता बॉन्ड को एक आकर्षक विकल्प बनाती है, खासकर उन लोगों के लिए जो विभिन्न निवेश उत्पादों में जोखिम और रिटर्न को संतुलित करना चाहते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह ध्यान रखा जाना चाहिए बॉन्ड रातों-रात धन कमाने का वादा नहीं करते हैं, लेकिन वे स्थिर और भरोसेमंद आय प्रदान करते हैं। यह आज के माहौल में, शेयरों में अस्थिरता के बीच एक बेहतर संतुलन उपलब्ध कराते हैं।’’
एक सवाल के जवाब में आचार्य ने कहा, ‘‘बॉन्ड खुदरा निवेशकों, खास तौर पर युवाओं के बीच लोकप्रिय नहीं हो पाये हैं। इसका कारण मुख्य रूप से इक्विटी और सोने की तुलना में बॉन्ड पर कम रिटर्न की संभावना का होना है। अधिक जोखिम उठाने की इच्छा रखने वाले युवा निवेशक शेयर, म्यूचुअल फंड जैसी परिसंपत्तियों को प्राथमिकता देते हैं। दूसरी ओर, बॉन्ड को परंपरागत, जटिल और कम सुलभ माना जाता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अक्सर लोकप्रिय वित्तीय ऐप और मीडिया में यह देखने को नहीं मिलता है। सीमित जागरूकता, कम नकदी और न्यूनतम प्रचार-प्रसार से यह लोकप्रिय नहीं हो पाया है। हालांकि, ‘आरबीआई रिटेल डायरेक्ट’ और शेयर बाजार आधारित बॉन्ड मंच जैसे उपायों के साथ, यह धारणा धीरे-धीरे बदल रही है।’’
वैश्विक बाजारों की तुलना में भारत में बॉन्ड बाजार की स्थिति के बारे में गोयनका ने कहा, ‘‘देश में बॉन्ड बाजार तेजी से विकसित हो रहा है। हालांकि, हम अभी भी पहुंच और तरलता के मामले में अमेरिका जैसी विकसित अर्थव्यवस्थाओं से पीछे हैं। लेकिन बदलाव की गति उत्साहजनक है। सेबी का प्रयास और खुदरा भागीदारी का बढ़ना संरचनात्मक रूप से लाभकारी हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ वैश्विक स्तर पर, बॉन्ड बाजार खुदरा निवेशकों और संस्थागत ढांचे के साथ कहीं अधिक एकीकृत हैं। लेकिन भारत भी पीछे नहीं है। अब हमारे पास 2,690 अरब डॉलर का बॉन्ड बाजार है और कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार लगातार बढ़ रहा है। इस मामले में अधिक जागरूकता, अधिक पारदर्शिता और बेहतर पहुंच की आवश्यकता है और इन सभी पर ध्यान दिया जा रहा है।
यह पूछे जाने पर कि कुल निवेश का कितना प्रतिशत बॉन्ड में होना चाहिए, आचार्य ने कहा, ‘‘यह उम्र और जोखिम लेने की क्षमता पर निर्भर करता है। वैसे नियम यह है कि सौ में से अपनी उम्र घटाएं। जितना आता है, उतना प्रतिशत इक्विटी और बाकी बॉन्ड और निश्चित आय वाले अन्य उत्पादों में लगाया जा सकता है।’’
भाषा रमण अजय
अजय
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