नयी दिल्ली, 28 फरवरी (भाषा) सेमीकंडक्टर क्षेत्र के लिए सरकार की रूपरेखा के तहत भू-राजनीतिक परिस्थितियों के कारण बड़े निवेश की जरूरत है, लेकिन इसमें डिजाइन और नवोन्मेष को भी इतना ही महत्व दिया जा रहा है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने सोमवार को यह बात कही।
चंद्रशेखर ने 35वें अंतरराष्ट्रीय वीएलएसआई और एंबेडेड सिस्टम सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान भारत के प्रदर्शन ने देश को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विशेषज्ञ के रूप में पेश किया है।
उन्होंने कहा कि विशेषरूप से सेमीकंडक्टर क्षेत्र में हमारी महत्वाकांक्षाएं बहुत स्पष्ट हैं। हमारी महत्वाकांक्षा और सेमीकंडक्टर क्षेत्र के लिए रूपरेखा में स्पष्ट रूप से एक बड़े निवेश की जरूरत है।
मंत्री ने कहा, ‘‘हम अनिवार्य रूप से कौशल बनाने में सरकारी पूंजी का निवेश कर रहे हैं … अनुसंधान पक्ष से लेकर डिजाइन इंजीनियरिंग और परीक्षण और पैकेजिंग कार्यबल पक्ष तक यह निवेश किया जा रहा है।’’
सरकार को 1.53 लाख करोड़ रुपये के निवेश से इलेक्ट्रॉनिक चिप और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग संयंत्र लगाने के लिए पांच कंपनियों से प्रस्ताव मिले हैं।
उन्होंने बताया कि वेदांता फॉक्सकॉन संयुक्त उद्यम, आईजीएसएस वेंचर्स और आईएसएमसी ने 13.6 अरब डॉलर (लगभग 1.02 लाख करोड़ रुपये) के निवेश से इलेक्ट्रॉनिक चिप विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने का प्रस्ताव किया है। उन्होंने 76,000 करोड़ रुपये के सेमीकॉन इंडिया प्रोग्राम के तहत केंद्र से 5.6 अरब डॉलर (करीब 42,000 करोड़ रुपये) का समर्थन मांगा है।
चंद्रशेखर ने कहा कि आज भारत ने दुनिया की किसी अन्य अर्थव्यवस्था की तुलना में अधिक तेजी से यूनिकॉर्न (एक अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन वाले स्टार्टअप) बनाए हैं।
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