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Sunday, 22 September, 2024
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बैटरी की अदला-बदली नीति दिलचस्प लेकिन सरकारी सहायता के बिना सफल नहीं : विशेषज्ञ

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वाशिंगटन, दो फरवरी (भाषा) भारत की प्रस्तावित ‘बैटरी अदला-बदली’ नीति दिलचस्प है लेकिन सरकार के समर्थन के बिना इसे सफल कर पाना संभावना नहीं है क्योंकि प्रमुख कार कंपनियां अपनी बैटरी संबंधी प्रौद्योगिकी को साझा नहीं करती हैं। ऑटोमोटिव उद्योग के एक विशेषज्ञ ने यह बात कही है।

भारत में इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एक बड़े कदम में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को 39.45 लाख करोड़ रुपये के बजट पेश किया।

वित्त मंत्री ने बजट पेश करने के दौरान कहा कि सरकार चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए जगह की कमी को देखते हुए देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए बैटरी की अदला-बदला नीति लाएगी।

नई नीति पर प्रतिक्रिया देते हुए ऑटोमोटिव उद्योग के विशेषज्ञ और ‘कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंडस्ट्रियल एंड लेबर’ में श्रम अध्ययन के निदेशक आर्थर व्हीटन ने कहा कि बैटरी की अदला-बदला नीति का विचार दिलचस्प है, लेकिन सरकार की बड़ी भागीदारी के बिना यह संभव नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रमुख कार कंपनियां बैटरी से जुड़ी अपनी तकनीक(या किसी भी तकनीक) को साझा नहीं करती हैं और विनिमेय बैटरियों का मतलब होगा कि देश भर में बहुत सारी निरर्थक बैटरी प्रभावी होंगी।’’

इसी को लेकर महिंद्रा एंड महिंद्रा के कार्यकारी निदेशक (ऑटो और फार्म) राजेश जेजुरिकर ने कहा कि केंद्रीय बजट 2022-23 में वित्त मंत्री द्वारा स्थायी गतिशीलता की शुरुआत करने के लिए तैयार की गई रुपरेखा भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी अपनाने को बढ़ावा देगा।

मर्सिडीज-बेंज इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी मार्टिन श्वेंक ने कहा कि बैटरी की अदला-बदली की घोषणा सही दिशा में एक कदम है और एक सीमित क्षेत्र के लिए मददगार होगी।

भाषा जतिन शाहिद

शाहिद

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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