नयी दिल्ली,14 फरवरी (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुजरात की कंपनी एबीजी शिपयार्ड के 22,842 करोड़ रुपये के कर्ज धोखाधड़ी मामले में पहली रिपोर्ट दर्ज करने में पांच साल का समय लगने का सोमवार को बचाव करते हुए कहा कि धोखाधड़ी का पता लगाने में लगने वाला समय सामान्य से कम ही है।
सीतारमण ने कहा कि एबीजी को कर्ज कांग्रेस-नीत संप्रग शासन के दौरान दिया गया था और खाता भी गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) 2013 में ही बन गया था। उन्होंने कहा कि सभी बैंकों ने कंपनी को बांटे गए कर्ज का पुनर्गठन मार्च 2014 में किया था लेकिन इसकी वसूली नहीं हो सकी।
कांग्रेस ने एबीजी शिपयार्ड के 22,842 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी मामले को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताना चाहिए कि यह धोखाधड़ी कैसे हुई है और वह इस पर ‘चुप’ क्यों हैं। पार्टी ने इसे ‘देश की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी’ बताया है।
एबीजी शिपयार्ड का घोटाला नीरव मोदी और मेहुल चौकसी द्वारा पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के साथ किए गए 14,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले से भी बड़ा है।
सीतारमण ने भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के निदेशकों के साथ बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस मामले में बैंकों को श्रेय मिलेगा। उन्होंने इस तरह की धोखाधड़ी को पकड़ने के लिए औसत से कम समय लिया।’’
वित्त मंत्री ने कहा कि आमतौर पर बैंक इस तरह के मामलों को पकड़ने और उपयुक्त कार्रवाई का निर्णय करने में 52 से 54 माह का समय लेते हैं और उसके बाद आगे की कार्रवाई करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस मामले में बैंकों को श्रेय दूंगी। उन्होंने इस प्रकार की धोखाधड़ी का पता लगाने में औसत से कम समय लिया…।’’
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने देश के सबसे बड़े बैंक धोखाधड़ी मामले में एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड और उसके पूर्व चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है। यह मामला आईसीआईसीआई बैंक की अगुआई में करीब दो दर्जन बैंकों के गठजोड़ के साथ धोखाधड़ी के लिए दर्ज किया गया है।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘मैं आरबीआई परिसर में बैठी हूं। इसीलिए मैं राजनीति पर बहुत ज्यादा बात नहीं करूंगी। लेकिन मुझे अफसोस है कि इस प्रकार की बातें आ रही हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल का सबसे बड़ा घोटाला है। यह बिल्कुल गलत है। यह कर्ज 2013 से पहले दिया गया था और यह एनपीए 2013 में ही बना…।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वे शोर कर रहे हैं, लेकिन इस बात को नहीं देख रहे कि जिस समय यह हुआ, उस समय संप्रग की सरकार थी। हमने धोखाधड़ी का पता लगाने में कम समय लिया। अन्य बड़े मामलों की तरह इसमें भी कार्रवाई की जा रही है।’’
सीतारमण ने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के कार्यकाल में बैंकों की सेहत सुधरी है और वे बाजार से धन जुटाने की स्थिति में हैं।
इस बीच, केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा कि वित्त मंत्री ने परंपरा के अनुसार बजट बाद आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल को संबोधित करते हुए 2022-23 के बजट के पीछे की सोच और सरकार की प्राथमिकताओं के बारे में विस्तार से बताया।
बजट के लिये वित्त मंत्री की सराहना करते हुए निदेशक मंडल के सदस्यों ने कई सुझाव दिये।
बयान के अनुसार बैठक में मौजूदा आर्थिक स्थिति, वैश्विक और घरेलू चुनौतियों की समीक्षा की गयी।
बैठक में सीतारमण के साथ वित्त राज्य मंत्री भागवत के कराड, वित्त सचिव टीवी सोमनाथन, निवेश एवं लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव तुहिन कांत पांडेय, राजस्व सचिव तरुण बजाज, वित्तीय सेवा सचिव संजय मल्होत्रा और आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ तथा नयनियुक्त मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन मौजूद थे।
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रमण प्रेम
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