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गुरूवार, 19 जून, 2025
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एटेरो दुर्लभ खनिज पुनर्चक्रण क्षमता को 30,000 टन तक बढ़ाने को 100 करोड़ रुपये का निवेश करेगी

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नयी दिल्ली, 19 जून (भाषा) ई-कचरे का पुनर्चक्रण करने वाली कंपनी एटेरो अगले 12 से 24 माह में अपनी दुर्लभ खनिज (रेयर अर्थ) पुनर्चक्रण क्षमता को 300 टन से बढ़ाकर 30,000 टन करने के लिए 100 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना बना रही है। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

चीन ने अप्रैल में दुर्लभ खनिज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, जो इलेक्ट्रॉनिक, वाहन और अन्य प्रौद्योगिकी उत्पादों के निर्माण में उपयोग किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण खनिज है।

एटेरो के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) और सह-संस्थापक नितिन गुप्ता ने पीटीआई-भाषा को बताया कि यह निवेश दुर्लभ खनिज चुम्बक के बाजार की मांग के अनुरूप है, जिसके लिए भारत और दुनिया भर के इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहन आदि उद्योग पूरी तरह से चीन से होने वाली आपूर्ति पर निर्भर हैं।

उन्होंने कहा, “अपनी मौजूदा क्षमता और प्रौद्योगिकी नेतृत्व के साथ, हम अपनी आरईई पुनर्चक्रण क्षमता को एक से 100 टन प्रतिदिन से बढ़ाकर कुल 30,000 टन सालाना तक पहुंचाने के लिए तैयार हैं और मांग बढ़ने पर आगे विस्तार की संभावना तलाश रहे हैं। हम इस विस्तार के लिए 100 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना बना रहे हैं।”

कंपनी 98 प्रतिशत से अधिक दक्षता और 99.9 प्रतिशत शुद्धता के साथ नियोडिमियम (एनडी), प्रेजोडिमियम (पीआर) और डिस्प्रोसियम (डीवाई) जैसे दुर्लभ खनिजों को पर ध्यान केंद्रित करेगी। ये इलेक्ट्रिक वाहन, पवन ऊर्जा और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स सहित प्रमुख क्षेत्रों के लिए आवश्यक हैं।

गुप्ता ने कहा, “एटेरो ने आयात पर निर्भरता कम करने और दुर्लभ खनिज आपूर्ति शृंखलाओं में चीन के दबदबे का मुकाबला करने के लिए महत्वपूर्ण खनिजों में भारत की आत्मनिर्भरता की लगातार वकालत की है।”

सरकार ने महत्वपूर्ण खनिज क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के उद्देश्य से एक मजबूत आधार तैयार करने के लिए जनवरी में राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन की शुरुआत की है। इस पहल में घरेलू आपूर्ति शृंखलाओं को सुरक्षित करने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए पुनर्चक्रण को एक महत्वपूर्ण रणनीति के रूप में मान्यता दी गई है।

भाषा अनुराग अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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