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Friday, 3 May, 2024
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क्या जोमैटो और स्विगी रेस्टोरेंट के कारोबार में मदद कर रहे हैं या उसे नुकसान पहुंचा रहे हैं? CCI ने क्यों दिए जांच के आदेश!

जोमैटो और स्विगी पर बाजार पर एकाधिकार जताने और पार्टनर रेस्टोरेंट्स पर अपनी कीमतों की शर्तें थोपने का आरोप है. रेस्टोरेंट-मालिकों के निकाय ने सीसीआई में शिकायत दर्ज कराई थी.

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नई दिल्ली: इस सोमवार, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने देश की दो बड़ी ऑनलाइन फूड डिलीवरी चेन जोमैटो और स्विगी के खिलाफ व्यापक जांच के आदेश दिए हैं.

इन दोनों कंपनियों पर बाजार पर एकाधिकार करने और पार्टनर रेस्टोरेंट्स पर अपनी मनमानी कीमतें थोपने का आरोप है.

जोमैटो और स्विगी की भारत के फूड डिलीवरी बिजनेस में 90-95 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी है. सीसीआई में शिकायत दर्ज कराने वाले नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई) के मुताबिक, उत्तर भारतीय बाजार में जोमैटो और दक्षिण में स्विगी का दबदबा है.

सीसीआई ने अपने डायरेक्टर जनरल को आरोपों की गहन जांच करने और रिपोर्ट सौंपने के लिए 60 दिन का समय दिया है.

सीसीआई ने अपने आदेश में कहा है, ‘प्रथम दृष्टया हितों के टकराव की स्थिति नजर आती है. जोमैटो और स्विगी के कुछ कंडक्ट को देखते हुए उनके खिलाफ डायरेक्टर जनरल द्वारा जांच की आवश्यकता है. ताकि जांच के जरिए यह पता लगाया जा सके कि क्या कंपनियों का आचरण कंपटीशन एक्ट के सेक्शन 3(1) और 3(4) का उल्लंघन करता है या नहीं.’

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कंपटीशन एक्ट के सेक्शन 3(1), 2002 में कहा गया है कि कोई भी उद्यम या व्यक्ति माल के उत्पादन, सप्लाई, डिलीवरी, स्टोरेज, अधिग्रहण या नियंत्रण या सेवाओं के प्रावधान के संबंध में कोई ऐसा करार नहीं करेगा जिससे भारत के भीतर प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो या पड़ने की संभावना हो.

ज़ोमैटो ने अपनी तरफ से जारी किए गए एक बयान में कहा है, वह जांच में सहयोग के लिए सीसीआई के साथ मिलकर काम करेगा और नियामक को समझाएगा कि हमारे द्वारा उठाए गए सभी कदम प्रतिस्पर्धा कानूनों का पालन करते हैं और भारत में प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालते.’

कंपनी के बयान में कहा गया है, ‘वह तुरंत सीसीआई की सिफारिशों को लागू करना चाहती है.’

स्विगी की मूल कंपनी बंडल टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड ने आदेश पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. जोमैटो और स्विगी के साथ साइन अप करते समय रेस्टोरेंट्स को कथित तौर पर जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उन्हें समझने के लिए दिप्रिंट ने सीसीआई के आदेशों की गहराई से पड़ताल की.

शिकायत

1 जुलाई 2021 को, एनआरएआई ने सीसीआई से शिकायत करते हुए फूड डिलीवरी चेन जोमैटो और स्विगी के कामकाज से संबंधित चिंताओं और मुद्दों पर प्रकाश डाला था, जो आदर्श रूप से एक तटस्थ बाज़ार के रूप में संचालित किए जाने चाहिए.

एनआरएआई को 1982 में स्थापित किया गया था. ये 4.23 लाख करोड़ रुपये के 500,000 से ज्यादा रेस्टोरेंट्स का प्रतिनिधित्व करता है. सीसीआई के 32-पृष्ठ के आदेशों से पता चलता है कि एनआरएआई ने जोमैटो और स्विगी पर निम्न आरोप लगाए हैं.

अनुचित बंडलिंग: एनआरएआई का दावा है कि फूड लिस्टिंग के साथ बंडलिंग डिलीवरी कर ज़ोमैटो और स्विगी ने बाजार पर कब्जा जमा लिया है. बंडलिंग एक मार्केटिंग रणनीति है जिसमें कंपनियां अक्सर छूट पर कई उत्पादों या सेवाओं को एक साथ बेचती हैं. इससे रेस्टोरेंट का बिजनेस प्रभावित हो रहा है और नए प्रतिस्पर्धी डिलीवरी सर्विसेज को बाजार में आने का मौका नहीं मिलता है. एक ऐसी सर्विस है जो आपको एक रेस्टोरेंट का मेनू देखने और ऑनलाइन ऑर्डर करने की अनुमति देती है.

डेटा छिपाना: एनआरएआई का आरोप है कि जोमैटो और स्विगी रेस्टोरेंट से ग्राहकों का डेटा छिपाते हैं. जिस वजह से रेस्टोरेंट और ग्राहक के बीच कोई सीधा संपर्क नहीं हो पाता है. निकाय का कहना है कि यह न केवल रेस्टोरेंट को अपने ग्राहकों को जानने से रोकता है, बल्कि किसी भी देरी के लिए जवाबदेह होने के बावजूद डिलीवरी में कितना समय लगेगा, यह जानने से भी रोकता है.

आदेश में रेस्टोरेंट द्वारा लगाए गए आरोपों का हवाला देते हुए कहा गया, ‘एनआरएआई ने आरोप लगाया है कि फूड डिलीवरी ऐप की गोपनीयता नीतियां दर्शाती हैं कि ग्राहकों से रेस्तरां के साथ जानकारी साझा करने के लिए सहमति ली गई है. हालांकि व्यावहारिक रूप से इस तरह के डेटा को कभी साझा नहीं किया जाता है . इसके बजाय वे कंज्यूमर डेटा का इस्तेमाल अपने निजी लेबल बनाने के लिए करते हैं.’

‘निजी लेबल’ से मतलब क्लाउड किचन या एक्सेस किचन सेवाओं से है. ये साझा रसोई हैं जिन्हें एग्रीगेटर केवल डिलीवरी के लिए बनाते हैं.

एनआरएआई का दावा है कि इन फूड डिलीवरी कंपनियों के साथ यह हितों का टकराव है. ये दोनों ही कंपनियां फूड डिलीवरी स्पेस में प्रमुख मध्यस्थ प्लेटफॉर्म के रूप में काम करते हैं. दोनो कंपनियां बाजार पर मजबूत पकड़ रखती हैं जिसका मतलब है कि ये प्रतिस्पर्धा को प्रतिकूल तरीके से प्रभावित कर सकती हैं. उन्होंने आगे कहा, कि एग्रीगेटर गलत तरीके से अपनी किचन को आगे लाने के लिए दूसरों को पीछे की ओर धकेल सकते हैं.

विशेष अनुबंध: जोमैटो और स्विगी के खिलाफ तीसरा आरोप यह है कि ये कंपनियां रेस्टोरेंट को उनके साथ विशेष अनुबंध करने के लिए मजबूर करती है और ज्यादा कमीशन लेकर फायदे में रहती है. एनआरएआई का आरोप है कि इसकी वजह से कई बार उनका फायदा जीरो जितना कम हो जाता है. इससे इन कंपनियों को अनुचित फायदा मिलता है.

एनआरएआई कहता है, जो भी रेस्टोरेंट इनके साथ जुड़ता है, उसे एग्रीगेटर्स को प्रति ऑर्डर कमीशन का भुगतान करना पड़ता है, और कीमत और क्वांटिटी के हिसाब से न्यूनतम ऑर्डर की गारंटी भी मिलती है,

निकाय का कहना है, और जब रेस्टोरेंट एक विशेष अनुबंध के लिए सहमत नहीं होता, तो उसे ज्यादा पैसों का भुगतान करना होता है– यह कमीशन 15 प्रतिशत तक हो सकता है और प्रति ऑर्डर 30 प्रतिशत तक जा सकता है.

मूल्य समानता: एसोसिएशन का दावा है कि एग्रीगेटर मूल्य समानता की शर्त भी रखते हैं. ऐसा कर वे फूड की कीमत कम रखने या अपनी वेबसाइट या ऑफलाइन दुकानों पर बेहतर छूट देने से उन्हें रोकती है.

मूल्य समानता का सीधा सा मतलब सभी रेस्टोरेंट के लिए एक समान कीमत का तय करना है.

एनआरएआई ने कहा, ‘ इस शर्त के अनुसार अगर कोई ग्राहक कीमतों में अंतर की शिकायत करता है तो तो स्विगी इसके लिए जवाबदेह होगा और इस तरह की गलती या कीमतों में अंतर की वजह से वह रेस्टोरेंट पार्टनर्स के साथ हुए समझौते को एकतरफा रद्द करने का अधिकार सुरक्षित रखता है.


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क्या कहता है सीसीआई का आदेश

सीसीआई ने पाया कि लगाए गए सभी आरोपों में दम नहीं है. एनआरएआई ने जिन पांच प्रमुख आरोपों को लगाया था, उनमें से तीन की जांच का आदेश दे दिए गए हैं.

सबसे पहले, सीसीआई ने पाया कि इस आरोप में दम था कि दोनों ही कंपनियां फूड डिलीवरी स्पेस में प्रमुख मध्यस्थ प्लेटफार्म के रूप में काम करती है. उनकी यह दोहरी भूमिका तटस्थ प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करने के रास्ते में आ सकती है और प्रतिस्पर्धा को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकती है.

सीसीआई ने आदेश में कहा, ‘इससे इन्हें एक्सेस किचन में स्थित रेस्तरां के पक्ष में प्लेटफॉर्म पर अपने नियंत्रण का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहन मिलता है, और अन्य रेस्टोरेंट को इससे नुकसान पहुंचता है.’ ‘इसके लिए एक व्यापक जांच की जरूरत है.’

आयोग ने कहा कि एक विशेष अनुबंध के बदले में जीरो कमीशन की भी जांच की जरूरत है.

आदेश में कहा गया है, ‘लगाए गए आरोपों की जांच जरूरी है कि क्या फूड डिलीवरी कंपनियां प्रतिस्पर्धा कानूनों का पालन नहीं कर रही हैं या फिर प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव तो नहीं डाल रही’

अंत में, आयोग ने पाया कि ये कंपनियां कमीशन की विभिन्न दरों को चार्ज करने और मूल्य समानता की अपनी शर्तों को लागू करके स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को रोक सकती हैं और साथ ही अन्य डिलीवरी सेवाओं के बाजार में आने पर रोक लगा सकती हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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