मुंबई: महाराष्ट्र सरकार ने मुख्य रूप से राज्य में सहकारी संस्थानों की वित्तीय स्थिति में सुधार के इरादे से केंद्र सरकार की तर्ज पर अपनी एक संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी (एआरसी) की स्थापना की है. ऐसा करने वाला वह देश का पहला राज्य बन गया है.
‘महा एआरसी लिमिटेड’ कंपनी की स्थापना उन फर्मों- सहकारी समितियां, अर्ध-सरकारी कंपनियां, सार्वजनिक कंपनियां वगैरह- के पुनर्गठन के लिए की गई है जो वित्तीय संकट में हैं या इसके कगार पर हैं और जिनके साथ महाराष्ट्र सरकार का सीधा संबंध है.
दिप्रिंट से बात करते हुए, महा एआरसी के प्रमुख और राज्य के वित्त विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव, मनोज सौनिक ने कहा, ‘वित्तीय हालत की बात करें तो महाराष्ट्र सरकार के निगम मिश्रित स्थिति में हैं. लेकिन वे अपने ऋणों में चूक नहीं कर रहे हैं. संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी विशेष रूप से कई सहकारी समितियों – चीनी कारखाने, कताई मिलें और इसी तरह की अन्य कंपनियों- के लिए उपयोगी होगी जो अपना कर्ज समय पर नहीं चुका पाती हैं और राज्य सरकार को ऋण के लिए गारंटर होने के नाते कदम उठाना पड़ता है.’
उन्होंने कहा, ‘हमने एक परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी के रूप में कार्य करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक से लाइसेंस के लिए आवेदन किया है. अभी इसे प्राप्त करना बाकी है.’
सौनिक ने यह भी कहा कि इस तरह की संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी स्थापित करने वाला महाराष्ट्र पहला राज्य है.
एआरसी का कदम राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि महाराष्ट्र में सहकारी क्षेत्र में परंपरागत रूप से कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेताओं का वर्चस्व रहा है, भाजपा इस गढ़ को तोड़ने की कोशिश कर रही है, जो अब सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट के साथ गठबंधन में राज्य सरकार का हिस्सा है.
वित्त विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘पिछले साल केंद्र सरकार ने वित्तीय संकट से जूझ रहे संस्थानों के ऋणों के पुनर्गठन के लिए राष्ट्रीय संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी (NARCL) का गठन किया था. वित्त विभाग ने सोचा कि राज्य स्तर पर इसी तरह की अवधारणा को लागू करना एक अच्छा विचार होगा.’
एनएआरसीएल की स्थापना बैंकों द्वारा की गई है, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कंपनी में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी है, ताकि बैंकों और वित्तीय संस्थानों की तनावग्रस्त संपत्तियों को अपने कब्जे में ले लिया जाए और उनका पुनर्गठन किया जा सके.
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111 करोड़ रुपये की शुरुआती पूंजी
महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को 111 करोड़ रुपये की शुरुआती पूंजी के साथ महा एआरसी लिमिटेड को शामिल किया है. सरकार ने इस पूंजी को राज्य आकस्मिक निधि से जारी करने के आदेश जारी किए हैं.
पहले उल्लेख किए गए अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि महा ARC ‘किसी भी बीमार कंपनी, अर्ध-सरकारी कंपनियों, जो अक्सर पारदर्शी रूप से काम नहीं करती हैं, सार्वजनिक कंपनियों, सहकारी समितियों आदि के पुनर्गठन का प्रयास करेगी, जिसके साथ महाराष्ट्र सरकार का किसी भी प्रकार का संबंध है’ .
अधिकारी ने कहा, ‘महाराष्ट्र सरकार ऐसी कंपनियों के साथ अलग-अलग तरह से जुड़ी हुई है. राज्य सरकार ने या तो उन्हें जमीन या फिर इक्विटी निवेश दिया है, या उनके शेयरों की सदस्यता ली है, दान या ऋण दिया है, या उनके ऋण के लिए गारंटर है.’
उन्होंने कहा, ‘ऐसी कंपनियों के पुनर्गठन से संबंधित कंपनी के शेयरधारकों, सदस्यों और लाभार्थियों और यहां तक कि जनता के हितों की रक्षा करने में मदद मिलेगी.’
सौनिक ने कहा कि महा एआरसी संकटग्रस्त कंपनियों को नहीं चलाएगा, लेकिन अपनी संपत्ति बेचने या उनका निपटान करने की कोशिश करेगा. उन्होंने कहा, ‘एक तरह से, ऐसा हो सकता है कि यह जानने से राज्य सरकार पर कर्ज और ऋण भुगतान के लिए निर्भर कंपनियां भी अपने व्यवसाय के संचालन में अधिक जिम्मेदार हो जाएंगी.’
महा एआरसी में आठ सदस्यों का बोर्ड होगा, जिनमें से छह सरकारी अधिकारी होंगे. राज्य वित्त विभाग द्वारा जारी एक प्रस्ताव के मुताबिक, सरकार के प्रतिनिधियों में वित्त के अतिरिक्त मुख्य सचिव, वित्तीय सुधार सचिव, व्यय के प्रमुख सचिव, सहकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव और कपड़ा एवं उद्योग विभागों के प्रमुख सचिव होंगे. इन सदस्यों के अलावा दो स्वतंत्र निदेशक भी होंगे.
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