मुंबई, 23 फरवरी (भाषा) जी एंटरटेनमेंट के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी पुनीत गोयनका ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें उसने जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (जील) के खिलाफ दिवाला कार्रवाई के लिए इंडसइंड बैंक की याचिका को स्वीकार कर लिया था।
कंपनी ने एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी। बयान में कहा गया, ”गोयनका जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज (जील) के सभी हितधारकों के हितों की रक्षा करने और कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट के साथ प्रस्तावित विलय को समय पर पूरा करने के लिए कानून के अनुसार सभी जरूरी कदम उठा रहे हैं।”
इससे पहले एनसीएलटी में न्यायिक सदस्य एच वी सुब्बा राव और तकनीकी सदस्य मधु सिन्हा की खंडपीठ ने बुधवार को इस मामले में संजीव कुमार जालान को समाधान पेशेवर नियुक्त किया था।
यह मामला जी समूह की कंपनी सिटी नेटवर्क्स द्वारा किए गए 89 करोड़ रुपये के चूक से संबंधित है। यह राशि इंडसइंड बैंक को अदा की जानी थी। इसके लिए जील एक गारंटर था।
निजी क्षेत्र के बैंक ने एनसीएलटी में सिटी नेटवर्क्स के खिलाफ एक अलग दिवाला याचिका भी दायर की है। एनसीएलटी ने मोहित मेहरा को इस मामले में समाधान पेशेवर नियुक्त किया है।
एनसीएलटी ने याचिका को ऐसे समय में स्वीकार किया, जब जी एंटरटेनमेंट, सोनी के साथ विलय के अंतिम चरण में है। विशेषज्ञों के अनुसार इस फैसले के बाद सौदे में बाधाएं पैदा होना तय है। कुछ लोगों का मानना है कि कंपनी निदेशक मंडल की शक्तियां दिवाला प्रक्रिया शुरू होने के साथ खत्म हो जाती है।
भाषा पाण्डेय रमण
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