नयी दिल्ली, चार मार्च (भाषा) वाणिज्य मंत्रालय की इकाई एपीडा ने शुक्रवार को कहा कि वह निर्यात करने की अपार संभावना वाले विदेशी बाजारों में, प्राकृतिक कृषि से प्राप्त उपज के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए रणनीति तैयार करने की प्रक्रिया में है।
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) प्रमाणन प्रणाली के साथ-साथ उपज के मानकों को विकसित करने के लिए कृषि मंत्रालय के परामर्श की प्रक्रिया में है।
उसने कहा, ‘‘प्राकृतिक उत्पादों की मांग बढ़ रही है और उपभोक्ता प्राकृतिक तत्व की उपस्थिति वाले खाद्य पदार्थों, सौंदर्य प्रसाधनों और दवाओं की अधिक मात्रा में मांग कर रहे हैं, एपीडा प्राकृतिक कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक रणनीति तैयार करने की प्रक्रिया में है।’’
इसमें कहा गया है कि प्राकृतिक खेती को अपनाना किसानों के लिए फायदेमंद है क्योंकि इन उत्पादों को मान्यता देने से किसानों को अच्छी कीमत प्राप्त करने में मदद मिलेगी और इस तरह की वस्तुओं के मूल्यवर्धन से वैश्विक बाजार में अधिक विदेशी मुद्रा प्राप्त होगी।
एपीडा ने राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (एनपीओपी) के तहत जैविक उत्पादों की निर्यात संभावनाओं का लाभ उठाने और जरुरतों को पूरा करने के लिए उत्पादकों, निर्यातकों, विभिन्न राज्य सरकार के अधिकारियों और अन्य संबंधित पक्षों को जागरूक करने के लिए कई पहल की हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि पहले चरण में गंगा नदी के किनारे पांच किलोमीटर चौड़े गलियारों में किसानों की भूमि पर ध्यान देने के साथ पूरे देश में रासायनिक मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।
आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और गुजरात में प्राकृतिक खेती की जा रही है।
इसने कहा, ‘‘यह अनुमान है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र और पहाड़ी राज्य भी प्राकृतिक खेती के लिए संभावित राज्य हो सकते हैं, क्योंकि वहां कृषि में उपयोग होने वाले रासायनिक दवा या खाद के नगण्य प्रयोग के साथ खेती करने की विशिष्ट पद्धतियों को अपनाया जाता है।’’
प्राकृतिक या रसायन मुक्त खेती की एक ऐसी विधि है जिसमें यूरिया, डायमोनियम फॉस्फेट और अन्य सिंथेटिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बजाय गाय और भैंस के गोबर, मूत्र वर्मी-कम्पोस्ट और अन्य ऐसे प्राकृतिक अवयवों का उपयोग खेती के लिए किया जाता है।
भाषा राजेश राजेश रमण
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