हैदराबाद, आठ नवंबर (भाषा) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत आने वाली एक विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (ईएसी) ने आंध्र प्रदेश के अनकापल्ली जिले में आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया लिमिटेड के प्रस्तावित 82 लाख टन सालाना क्षमता वाले इस्पात संयंत्र को पर्यावरणीय मंजूरी देने के फैसले को टाल दिया है और कंपनी से कुछ स्पष्टीकरण मांगें हैं।
आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया लिमिटेड (एएमएनएसआईएल) ने अपने 1.50 लाख करोड़ रुपये के इस्पात संयंत्र के लिए पर्यावरणीय मंजूरी के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) से संपर्क किया था। ईएसी ने 30 अक्टूबर को हुई अपनी बैठक में प्रस्ताव पर विचार-विमर्श किया।
प्रस्तावित एकीकृत इस्पात संयंत्र के लिए पर्यावरण प्रबंधन योजना की कुल पूंजीगत लागत लगभग 3,540 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जिसकी वार्षिक आवर्ती लागत 355 करोड़ रुपये है।
इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 30 जनवरी, 2025 को अधिसूचना जीएसआर 85(ई) जारी की, जिसमें औद्योगिक संयंत्रों की स्थापना के लिए मानदंड निर्दिष्ट किए गए थे।
उन्होंने बताया कि चूंकि एएमएनएसआईएल को स्थान का आवंटन इस अधिसूचना से पहले हुआ था, इसलिए कंपनी ने नए दिशानिर्देशों का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाए।
सूत्रों ने समय-सीमा बताए बिना कहा कि इस संबंध में मंत्रालय से कुछ स्पष्टीकरण मिलते ही प्रस्ताव अपने आप स्वीकृत हो जाएगा।
इस बीच, आंध्र प्रदेश सरकार के सूत्रों ने कहा कि इस्पात मंत्रालय ने खदानों से प्रस्तावित संयंत्र तक लौह अयस्क के परिवहन के लिए छत्तीसगढ़ से ओडिशा होते हुए आंध्र प्रदेश तक लौह अयस्क स्लरी पाइपलाइन स्थापित करने के लिए इस्पात निर्माता को मंजूरी दे दी है। स्लरी पाइपलाइन में खनिजों को पानी जैसे किसी तरल पदार्थ में मिलाकर लंबी दूरी तक पहुंचाया जाता है।
भाषा पाण्डेय
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