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Friday, 22 November, 2024
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ग्रोथ और मुद्रास्फीति दोनों में गिरावट के बीच विश्लेषकों को उम्मीद, RBI आज बढ़ा सकता है रेपो रेट

CPI मुद्रास्फीति पिछले दो महीनों से 6% से नीचे रही है और वित्त वर्ष 2023 की दूसरी छमाही में ग्रोथ में गिरावट आने के आसार हैं, लेकिन मुद्रास्फीति अभी भी उच्च स्तर पर होने की वजह से REPO रेट में मामूली वृद्धि संभव है.

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नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) बुधवार को नई ब्याज दरों पर अपने फैसले का ऐलान करने के लिए तैयार है. इस बीच, विश्लेषकों का मानना है कि इसे अब मुद्रास्फीति की बजाये ग्रोथ पर फोकस करना चाहिए क्योंकि दोनों में गिरावट का रुझान है. हालांकि, मुद्रास्फीति में गिरावट अच्छी बात हैं लेकिन ग्रोथ में कमी अवांछनीय है.

विश्लेषकों का मानना है कि एमपीसी या तो रेपो रेट बरकरार रखेगी या फिर इसे 25 आधार अंकों (बीपीएस) तक बढ़ाने के फैसले की घोषणा कर सकती है. रेपो रेट वह ब्याज दर है जो केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को अपने ऋण के बदले वसूलता है और इसलिए इसका सीधा असर इन वाणिज्यिक बैंकों की तरफ से कंपनियों और लोगों को दिए जाने वाले कर्ज़ की दर पर पड़ता है. उच्च ब्याज दरें मुद्रास्फीति घटाने के लिए होती हैं, लेकिन इस पर धीमी आर्थिक वृद्धि का भी खासा असर पड़ता है.

ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डी.के. श्रीवास्तव ने दिप्रिंट को बताया, ‘‘50-50 चांस हैं कि एमपीसी रेट बढ़ाएगी या अपरिवर्तित ही रखेगी.’’

उन्होंने कहा, ‘‘सीपीआई मुद्रास्फीति और डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति दोनों नीचे जा रही हैं, डब्ल्यूपीआई अधिक तेज़ी से नीचे जा रहा है और ग्रोथ भी गिरावट की दिशा में है.’’

उन्होंने आगे कहा कि कोर सीपीआई मुद्रास्फीति की स्थिरता एमपीसी को रेट बढ़ाने के लिए प्रेरित करने की एक वजह बन सकती. सीपीआई मुद्रास्फीति का मतलब है कि फूड और एनर्जी को छोड़कर अन्य वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में बदलाव.

हालांकि, ओवरआल सीपीआई मुद्रास्फीति 6 प्रतिशत की सीमा से नीचे गिरी है—नवंबर 2022 में 5.88 प्रतिशत और दिसंबर में 5.72 प्रतिशत पर रही—लेकिन कोर मुद्रास्फीति उच्च बनी हुई है.

श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘हालांकि, डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति में गिरावट की संभावना से अंततः कोर मुद्रास्फीति भी नीचे आ सकती है. अगर एमपीसी ने दरें बढ़ाईं तो यह केवल 25 आधार अंकों की हो सकती हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘किसी बड़ी बढ़ोतरी की ज़रूरत नहीं है. उन्हें ग्रोथ को लेकर अधिक चिंतित होना चाहिए. वैसे मौजूदा ब्याज दरों पर भी साल की दूसरी छमाही तक महंगाई दर गिरकर करीब 5 फीसदी पर आ जानी चाहिए.’’


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वैश्विक मंदी और धीमी ग्रोथ

दूसरी तरफ, ग्लोबल ग्रोथ में व्यापक स्तर पर जारी मंदी के कारण आने वाली तिमाहियों में भारत की ग्रोथ भी धीमी रहने के आसार हैं.

आईसीआईसीआई ग्लोबल सिक्योरिटीज के एक रिसर्च नोट के मुताबिक, ‘‘भारत की जीडीपी वृद्धि वित्त वर्ष 2012 में 8.7 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में वित्त वर्ष 23 में 7 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है. गौरतलब है, भारत की जीडीपी वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में 9.7 प्रतिशत बढ़ी है. इस प्रकार, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी छमाही में वृद्धि केवल 4.5 प्रतिशत रहेगी.’’

नोट में कहा गया है, ‘‘सरकारी खर्च, जिसके वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही में 1.3 फीसदी की तुलना में दूसरी छमाही में 7.2 फीसदी बढ़ने का अनुमान है, को छोड़कर अन्य सभी ग्रोथ ड्राइवर गिरावट के संकेत दे रहे हैं.’’

नोट में जिन अन्य ग्रोथ ड्राइवर्स की बात की गई है, उनमें खपत संकेतकों पर डेटा शामिल है, जो उपभोक्ता खर्च में गिरावट का संकेत देता है. आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर 2022 में ऑटोमोबाइल बिक्री (दोपहिया, ट्रैक्टर और यात्री वाहनों सहित) में 4.4 प्रतिशत की कमी आई और यह अब भी कोविड पूर्व के स्तर की तुलना में 5 प्रतिशत कम है.

नोट में कहा गया है, ‘‘टिकाऊ और गैर-टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं में सितंबर-दिसंबर 2022 में संकुचन नज़र आया है. शहरी बेरोज़गारी दर नवंबर में 8.9 प्रतिशत के मुकाबले दिसंबर में 10.1 प्रतिशत हो गई. वहीं, अप्रैल-दिसंबर 2022 में आईटी की कंपनियों की तरफ से नेट हायरिंग में भी खासी कमी आई है.’’

दिसंबर में एमपीसी की नवीनतम बैठक में सदस्यों के बीच इस बात पर खासी बहस हुई थी कि आरबीआई को क्या रुख अपनाना चाहिए और यह भी कि दर वृद्धि को लागू किया जाना चाहिए या नहीं. आरबीआई को इस पर अपना ‘रुख’ तय करना है कि क्या वह दर वृद्धि (आक्रामक रुख) पर आगे बढ़ा, या फिर दर में कटौती (समायोजन) पर विचार करे, अथवा क्या उसे दरों को अपरिवर्तित (तटस्थ) रखना चाहिए.

दिसंबर में बैठक में एमपीसी का रुख ‘समायोजन की वापसी’ वाला रहा था, जिसका अर्थ है कि मुद्रास्फीति नियंत्रित करने के लिए मनी सप्लाई को सीमित करने विचार किया जा रहा था. आईसीआईसीआई का मानना है कि एमपीसी का यह रुख इस बैठक में या फिर अप्रैल में बदलने की संभावना है.

आईसीआईसीआई के नोट में कहा गया है, ‘‘ग्रोथ और मुद्रास्फीति पर फोकस के साथ वैश्विक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए और अमेरिका के साथ ब्याज दर अंतर बनाए रखने की जरूरत है, ऐसे में हमें विश्वास है कि आरबीआई 25 बीपीएस रेट बढ़ाएगा. आरबीआई के रुख में बदलाव करने और डेटा पर निर्भर होने की संभावना है, लेकिन पिछले कुछ दिनों में अनिश्चितता बढ़ी है. हमारा मानना है कि रुख में बदलाव हो सकता है लेकिन इस पर फैसला अभी के बजाये अप्रैल में होने की संभावना ज्यादा है.’’

(अनुवादः रावी द्विवेदी | संपादनः फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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