नयी दिल्ली, छह फरवरी (भाषा) भारतीय दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) ने व्यक्तिगत गारंटी देने वालों के लिए दिवाला समाधान प्रक्रिया और स्वैच्छिक परिसमापन प्रक्रिया से संबंधित नियमों में बदलाव किया है।
कर्जदार कंपनी को व्यक्तिगत गारंटी देने वालों के लिए ऋण शोधन समाधान और दिवाला प्रक्रिया से जुड़े नियमों में बदलाव किए गए हैं।
इसके तहत व्यक्तिगत गारंटी देने वालों की समाधान प्रक्रिया के लिए ऋणशोधन पेशेवरों (आईपी) को समाधान पेशेवर (आरपी) नियुक्त करने पर लगी पाबंदी हटा दी गई है।
आईबीबीआई ने सोमवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि इन प्रतिबंधों को हटाने से एक ही कर्ज समाधान पेशेवर को कॉरपोरेट मामलों के साथ व्यक्तिगत गारंटी देने वालों के लिए भी ऋणशोधन और दिवाला कार्यवाही में नियुक्त किया जा सकेगा। इससे कर्ज समाधान में बेहतर सामंजस्य और प्रभावी समन्वय हो सकेगा।
आईबीबीआई ने कहा कि व्यक्तिगत गारंटीदाताओं के मामलों में जटिलताओं और चुनौतियों को दूर करने के लिए किए गए इन संशोधनों का उद्देश्य कर्जदाताओं की बैठक को अनिवार्य बनाना भी है। बैठक में कर्जदाताओं की अनिवार्य भागीदारी समाधान प्रक्रिया को व्यापक बनाएगी।
विज्ञप्ति के मुताबिक, ‘‘संशोधन का उद्देश्य सभी संबद्ध पक्षों के बीच सक्रिय भागीदारी और सहयोग को बढ़ावा देना है, ताकि व्यक्तिगत गारंटी से जुड़े मामलों में वित्तीय संकट दूर करने के लिए एक मजबूत और न्यायसंगत ढांचा खड़ा किया जा सके।’’
इसके साथ ही आईबीबीआई ने स्वैच्छिक परिसमापन प्रक्रिया को भी दुरूस्त किया है। अब स्वैच्छिक परिसमापन प्रक्रिया शुरू करते समय संबंधित कंपनी निदेशकों को विधिक अधिकारियों के समक्ष लंबित कार्यवाही या मूल्यांकन का खुलासा करना होगा।
भाषा रमण प्रेम
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