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Thursday, 9 May, 2024
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एमेजॉन इंडिया ने ई-कॉमर्स के जरिये एक्सपोर्ट की सुविधा के लिए व्यापार नीति में बदलाव की मांग की

एमेजॉन इंडिया में ग्लोबल ट्रेड डायरेक्टर भूपेन वाकणकर कहते हैं कि ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट किसी भी व्यवसाय के लिए अंतरराष्ट्रीय खरीदारों तक पहुंच बनाने का सबसे सरल तरीका है.

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नई दिल्ली: एमेजॉन इंडिया में ग्लोबल ट्रेड डायरेक्टर भूपेन वाकणकर का कहना है कि ई-कॉमर्स के माध्यम से निर्यात भारत के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है, ऐसे में ज़रूरत इस बात की है कि विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) को इसके अनुरूप बनाया जाए और सीमा शुल्क से संबंधित प्रक्रियाओं को भी आसान किया जाए.

वाकणकर ने दिप्रिंट को बताया, ‘‘परंपरागत रूप से विदेश व्यापार नीति में ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट की कोई व्यवस्था नहीं रही है और इसका वाजिब कारण भी है, क्योंकि ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट सेक्टर पिछले दौर की नीति बनाए जाने तक इतना बढ़ा नहीं था.’’

उन्होंने आगे कहा, ‘‘हालांकि, अब चीजें काफी बदल गई हैं. हमारे पास ई-कॉमर्स के बारे में जानकारी रखने वाले ग्राहकों के साथ-साथ विक्रेताओं का भी एक बड़ा पूल है जो वैश्विक वैल्यू चेन का हिस्सा बनना चाहते हैं.’’

एमेजॉन 2015 से भारत में एमेजॉन ग्लोबल सेलिंग नाम से ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट प्रोग्राम चला रहा है. वाकणकर ने बताया कि यह कार्यक्रम 100 विक्रेताओं के साथ शुरू हुआ था, लेकिन अब एक लाख से अधिक विक्रेता इसका हिस्सा हैं जो दुनियाभर के 200 से अधिक देशों और क्षेत्रों में ग्राहकों को उत्पादों का निर्यात करते हैं.

अमेरिका में मुख्यालय वाले मार्केटप्लेस के संस्थापक और सीईओ जेफ बेजोस ने 2020 में अपनी भारत यात्रा के दौरान घोषणा की थी कि कंपनी 2025 तक 10 बिलियन डॉलर मूल्य के ‘मेक इन इंडिया’ सामानों के निर्यात को सक्षम बनाएगी.

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2022 में कंपनी ने 2025 तक भारत से 20 अरब डॉलर के संचयी निर्यात का संशोधित लक्ष्य निर्धारित किया.

वाकणकर ने कहा कि ई-कॉमर्स निर्यात किसी भी व्यवसाय के लिए अंतरराष्ट्रीय खरीदारों तक पहुंच बनाने का सबसे सरल तरीका है, एफटीपी में आवश्यक बदलाव करके भारतीय ई-कॉमर्स निर्यात को सर्वोत्तम वैश्विक व्यवस्था के अनुरूप बनाया जा सकेगा.

Illustration: Ramandeep Kaur | ThePrint
चित्रणः रमनदीप कौर | दिप्रिंट

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि ई-कॉमर्स निर्यात 400 अरब डॉलर का बाजार बनाने के लिए एक संभावित रास्ता है, जहां भारतीय उद्यमी न्यूनतम अग्रिम लागत के साथ सीधे-सीधे वैश्विक ग्राहकों तक पहुंच बना सकते हैं. इससे वास्तव में भारत के बड़े एमएसएमई क्षेत्र और स्टार्टअप इको-सिस्टम को काफी लाभ मिल सकता है.’’

उन्होंने कहा कि मौजूदा समय की जरूरतों को समझते हुए ई-कॉमर्स निर्यात शिपमेंट की तेजी से निकासी को सक्षम बनाने के लिए एंड-टू-एंड डिजिटलीकरण शुरू किया जाना चाहिए. छोटे विक्रेता भी ई-कॉमर्स निर्यात का तरीका अपनाए इसके लिए एफटीपी में बिना बिके/लौटाए गए ई-कॉमर्स सामानों के पुन: आयात पर छूट की व्यवस्था भी होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इससे भारतीय निर्यातक भी अन्य देशों के निर्यातकों की तरह ही ग्राहकों को ज्यादा से ज्यादा संतुष्टि दे पाएंगे.

वाकणकर ने बताया कि रिटर्न ई-कॉमर्स सेक्टर का एक सामान्य हिस्सा है और बिना बिके सामानों को अब बहुत समय तक गोदामों या इन्वेंट्री में रखा नहीं जा सकता है. ऐसे में भारत से भेजे गए और कुछ वजहों से लौटाए जा रहे सामानों पर आयात शुल्क के भुगतान से छूट दी जानी चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘‘एफटीपी में ऐसे सामानों को ‘बिक्री पूरी हुए बिना पुन: आयात’ की श्रेणी में रखा जाना चाहिए. इसमें आवश्यक छूट का लाभ पाने के लिए निर्यात के समय वाले दस्तावेजों को पर्याप्त माना जाए.’’

वाकणकर ने कहा कि एमेजॉन ग्लोबल सेलिंग पर भारतीय निर्यातकों का संचयी निर्यात पांच अरब डॉलर के पार पहुंच चुका है और 2021 में ऐसे निर्यातकों की संख्या 1,000 से अधिक रही, जिन्होंने एक करोड़ रुपये से ज्यादा की बिक्री की.

उन्होंने कहा, ‘‘भारत का निर्यात सबसे लंबे समय तक अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ जैसे शीर्ष बाजारों से जुड़ा रहा है. हालांकि, हम मध्य पूर्व, जापान, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया जैसे उभरते बाजारों से भी काफी मांग देख रहे हैं.’’

(अनुवाद : रावी द्विवेदी | संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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