scorecardresearch
Monday, 11 August, 2025
होमदेशअर्थजगतआयात कम होने, आवक घटने से सभी तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

आयात कम होने, आवक घटने से सभी तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

Text Size:

नयी दिल्ली, आठ मार्च (भाषा) फरवरी में खाद्यतेलों का आयात कम होने तथा मंडियों में आवक घटने के साथ साथ त्योहारी मांग बढ़ने के कारण शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी में सभी तेल-तिलहन के दाम सुधार दर्शाते बंद हुए।

बाजार सूत्रों के अनुसार, सीपीओ, पामोलीन और सूरजमुखी जैसे खाद्यतेलों के आयात में नुकसान है क्योंकि इनके दाम काफी अधिक हैं जिस वजह से फरवरी में इन खाद्यतेलों का आयात कम हुआ है। दूसरी ओर होली और रमजान जैसे त्योहारों के मद्देनजर खाद्यतेलों की मांग बढ़ रही है। किसान भी एमएसपी से कम हाजिर दाम पर अपनी फसल बेचने को राजी नहीं हैं और अपना स्टॉक रोक रहे हैं। केवल जरुरतमंद किसानों ने ही अपनी फसल को अब तक बेचा है और बेच रहे हैं। बाकी मजबूत किसान बिनौला, सोयाबीन जैसी फसलों को रोक रखे हैं और दाम बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं। इस परिस्थिति में सभी खाद्यतेल-तिलहनों के दाम सुधार दर्शाते बंद हुए।

सूत्रों ने कहा कि किसान सरसों नीचे हाजिर दाम पर बेचने से बच रहे हैं और इसका उत्पादन भी पहले की तुलना में कम है। त्योहारी मांग बढ़ने के कारण सरसों तेल-तिलहन में सुधार आया। यही हाल मूंगफलीतेल-तिलहन का है जिसकी त्योहारों के कारण मांग बढ़ी है। किसानों की ओर से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से बहुत नीचे दाम पर बिकवाली से बचने की मंशा के कारण बाजार में आवक की कमी है जो मूंगफली तेल-तिलहन में सुधार आने का मुख्य कारण है।

उन्होंने कहा कि सोयाबीन का हाजिर दाम एमएसपी से 18-20 प्रतिशत कम है। इस नीचे दाम पर किसान बेचने से बच रहे हैं जो सोयाबीन तेल-तिलहन में सुधार का मुख्य कारण है। कल रात शिकागो एक्सचेंज के 1.5 प्रतिशत मजबूत बंद होने की वजह से कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल कीमतों में भी सुधार आया।

सूत्रों ने कहा कि मंडियों में बिनौले की आवक कम है। इस बार भारतीय कपास निगम (सीसीआई) ने लगभग 94 लाख कपास गांठ की खरीद की है। इस बार उत्पादन भी कम हुआ है। जो नरमा बचा है वह मजबूत किसानों के पास ही है। सीसीआई ने कपास नरमा से निकले पूरे बिनौला सीड को भी बेच दिया है। किसान पहले की तरह इस बार कपास नरमा के लिए 8,000 रुपये क्विंटल के भाव की उम्मीद लगाये बैठे हैं। फिलहाल कम आयात हुए कई आयातित तेलों के मुकाबले दाम सस्ता होने के कारण बिनौला तेल की मांग बढ़ने से बिनौला तेल कीमत में भी सुधार आया।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,260-6,360 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 5,675-6,000 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,400 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,225-2,525 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 13,650 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,370-2,470 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,370-2,495 रुपये प्रति टिन।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,200 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,850 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,125 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 13,200 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,700 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,800 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 13,700 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,225-4,275 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 3,925-3,975 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश पाण्डेय

पाण्डेय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments