नयी दिल्ली, एक अप्रैल (भाषा) चीनी व्यापार निकाय एआईएसटीए ने सोमवार को 2023-24 सत्र (अक्टूबर-सितंबर) के लिए देश के चीनी उत्पादन अनुमान को 4,00,000 टन बढ़ाकर 3.2 करोड़ टन कर दिया है। इसका कारण महाराष्ट्र और कर्नाटक में चीनी उत्पादन में वृद्धि होना है।
संगठन ने बयान में कहा है कि अनुमानित शुद्ध घरेलू चीनी उत्पादन में एथनॉल उत्पादन के लिए सुक्रोज का उपयोग शामिल नहीं है।
इसमें कहा गया है कि 3.2 करोड़ टन के अनुमानित चीनी उत्पादन और 57 लाख टन के शुरुआती स्टॉक के साथ, देश में चीनी की उपलब्धता तीन करोड़ 77 लाख टन होने की संभावना है, जो अनुमानित घरेलू खपत 2.9 करोड़ टन से कहीं अधिक है।
पिछले 2022-23 सत्र में चीनी का उत्पादन 3.29 करोड़ टन था।
अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ (एआईएसटीए) के अध्यक्ष प्रफुल्ल विठलानी के अनुसार, फसल समिति ने 2023-24 सत्र के लिए चीनी उत्पादन अनुमान को 3.16 करोड़ टन से मामूली रूप से संशोधित कर 3.2 करोड़ टन कर दिया है।
महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन 12 लाख टन बढ़ने का अनुमान है, लेकिन उत्तर प्रदेश में लगभग इतनी ही मात्रा यानी इसमें 11 लाख टन की गिरावट का अनुमान है।
उन्होंने कहा, इसी तरह तमिलनाडु में 30 लाख टन की अनुमानित गिरावट की भरपाई कर्नाटक में 40 लाख टन के लाभ से होने की संभावना है। बाकी राज्यों में उत्पादन का अनुमान पूर्व के अनुमान के बराबर ही है।
विठलानी ने कहा, ‘‘हालांकि, राज्य-वार उत्पादन परिदृश्य में बदलाव से चीनी व्यापार में व्यापार प्रवाह प्रभावित होने की संभावना है, क्योंकि अधिशेष महाराष्ट्र से चीनी की कमी वाले राज्यों में अधिक चीनी जा रही है।’’
दूसरे अनुमान के अनुसार, देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन 2023-24 सत्र में मामूली वृद्धि के साथ 1.08 करोड़ टन होने का अनुमान है, जबकि पिछले सत्र में यह उत्पादन 1.07 करोड़ टन का हुआ था।
हालांकि, देश के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन पिछले सत्र के 1.07 करोड़ टन से थोड़ा घटकर 1.06 करोड़ टन रहने का अनुमान है।
इसी तरह, देश के तीसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य कर्नाटक में उत्पादन को ऊपर की ओर संशोधित किया गया है, लेकिन 2023-24 सत्र में यह अब भी कम यानी 51 लाख टन है, जबकि पिछले सत्र में यह 56 लाख टन रहा था।
भाषा राजेश राजेश अजय
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