मुंबई, एक जून (भाषा) देश की लगभग 58 प्रतिशत आबादी को आजीविका देने वाले कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी को अपनाने का काम बदलाव के दौर है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी देते हुए कहा गया है कि इस क्षेत्र को अपनी पूरी मूल्य श्रृंखला में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
पीडब्ल्यूसी और फिक्की की रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि भारत में कृषि बदलाव के दौर से गुजर रही है। खेती के कामकाज के बेहतर संचालन के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाने पर ध्यान दिये जाने के साथ इस क्षेत्र को अपनी मूल्य श्रृंखला में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
‘कृत्रिम मेधा’ यानी एआई के माध्यम से कृषि को फिर से परिभाषित करना: अप्रत्याशित की भविष्यवाणी करना’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि इन चुनौतियों के लिए विघटनकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है जो प्रौद्योगिकी समाधान द्वारा प्रदान किया जा सकता है।
इसमें कहा गया है कि पूरी कृषि प्रणाली के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है, जिसे स्वदेशी और पारंपरिक कृषि ज्ञान पर आधारित किया जा सकता है। इसे बदलते आधुनिक खेती के तौर-तरीकों के साथ जोड़ा जा सकता है, जिसमें कृत्रिम मेधा उपकरण और प्रौद्योगिकी को अपनाना शामिल है।
कृषि क्षेत्र में मुख्य रूप से ड्रोन या मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) का उपयोग किया जा रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जैसे-जैसे देश का कृषि क्षेत्र और विकसित होगा, वैसे-वैसे खेती में ड्रोन का उपयोग बढ़ने का अनुमान है। कई स्टार्टअप इकाइयां कम लागत वाले ड्रोन के निर्माण के लिए निवेश कर रही हैं। इससे किसानों की मदद हो सकेगी और उनकी जानकारी में इजाफा होगा, साथ ही ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार पैदा किया जा सकेगा।
भाषा राजेश राजेश अजय
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