नयी दिल्ली, आठ मार्च (भाषा) कृषि मंत्रालय देश में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन के लिए एक नई केंद्रीय योजना के साथ तैयार है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि इस योजना पर अनुमानत: 2,500 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
अधिकारी ने बताया कि इस प्रस्तावित नई योजना को जल्द मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए रखा जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल दिसंबर में गुजरात में प्राकृतिक खेती पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि उर्वरक और कीटनाशक आधारित खेती के विकल्प की तलाश करने की जरूरत है। उसके कुछ माह बाद यह नई योजना बनाई गई है।
मोदी ने कहा था कि प्राकृतिक खेती अधिक बेहतर उत्पाद ला सकती है जिनका कोई ‘साइड इफेक्ट’ नहीं होता।
अधिकारी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हितधारकों के साथ कई दौर की बातचीत के बाद प्राकृतिक खेती पर एक योजना का मसौदा तैयार किया गया है। इस योजना का मकसद खेती की मौजूदा प्रणाली को बाधित किए बिना प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देना है।’’
अधिकारी ने बताया कि प्रस्तावित योजना के तहत प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों, उनके उत्पादों के विपणन के लिए सहयोग दिया जाएगा। इसके अलावा उन्हें विस्तारित सेवाएं भी प्रदान की जाएंगी।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने आम बजट 2022 में देशभर में रसायन-मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की घोषणा की थी। इसकी शुरुआत गंगा नदी के साथ पांच किलोमीटर के गलियारे वाले खेतों के साथ होनी थी।
सरकारी शोध संस्थान नीति आयोग के अनुसार, प्राकृतिक खेती एक रसायन-मुक्त परंपरागत खेती का तरीका है। भारत में प्राकृतिक खेती को केंद्र प्रायोजित योजना परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) के तहत प्राकृतिक कृषि पद्धति प्रोग्राम (बीपीकेपी) के जरिये प्रोत्साहन दिया जाता है।
भाषा अजय अजय पाण्डेय
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