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Sunday, 10 August, 2025
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अमेरिकी शुल्क के बाद सोचना होगा कि सस्ता रूसी तेल फायदेमंद है या नहीं: अभिजीत बनर्जी

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(बिजय कुमार सिंह)

नयी दिल्ली, 10 अगस्त (भाषा) नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने कहा है कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा के बाद भारत को विचार करना चाहिए कि रूस से सस्ते तेल का आयात फायदेमंद है या नहीं।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने पिछले हफ्ते एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें भारत के रूस से तेल खरीदने के कारण भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया गया था। इससे भारत पर लगाया गया कुल शुल्क 50 प्रतिशत हो जाएगा, जो दुनिया में किसी भी देश पर अमेरिका द्वारा लगाए गए सबसे अधिक शुल्कों में से एक है। अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क 27 अगस्त से लागू होगा।

बनर्जी ने बीएमएल मुंजाल विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम के मौके पर पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हमें इस बारे में गंभीरता से सोचना होगा कि क्या रूस से तेल आयात करने लायक है या फिर अमेरिका जाकर यह कहना होगा कि अगर हम रूसी तेल का आयात बंद कर दें, तो क्या वे इसे (शुल्क) हटा लेंगे।”

चूंकि भारी शुल्क से भारत द्वारा अमेरिका को किए जाने वाले 27 अरब अमेरिकी डॉलर के गैर-छूट वाले निर्यात पर असर पड़ने की आशंका है, इसलिए रूस से तेल आयात रोकने या कम करने की चर्चा हो रही है।

प्रख्यात अर्थशास्त्री ने कहा, ‘‘इसके बारे में सोचना गलत नहीं है। हमारे कुछ निर्यात 25 प्रतिशत शुल्क पर ही प्रतिस्पर्धी नहीं हैं, इसलिए शायद 50 प्रतिशत (शुल्क) कोई मायने नहीं रखता।”

भारत रूसी कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयातक है, और उसने जुलाई में प्रतिदिन 16 लाख बैरल तेल खरीदा था। हालांकि, देश ने अगस्त और सितंबर के लिए कोई ऑर्डर नहीं दिया है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि रूसी तेल पर छूट अब घटकर लगभग दो अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल रह गई हैं।

यह पूछने पर कि क्या भारत को चीन से निवेश पर लगे प्रतिबंध हटाने चाहिए, बनर्जी ने कहा, ‘‘हमें इसे चीन के साथ व्यापार वार्ता के जरिये जोड़ना चाहिए।’’

उन्होंने आगे कहा, ”मुझे लगता है कि ऐसा करने का यह सही समय है। चीन को भी यह सोचने की जरूरत है कि वे अमेरिका के साथ कैसे व्यापार करेंगे और उनके पास क्या लाभ हैं।”

यह पूछने पर कि क्या भारत को आसियान व्यापार समूह में शामिल होना चाहिए, उन्होंने कहा, ”शायद, मुझे लगता है कि हमें ऐसा करना चाहिए। मुझे लगता है कि चीन, आसियान से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है।”

भू-राजनीतिक तनाव और व्यापार अनिश्चितताओं के बीच चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन के बारे में उन्होंने कहा, ”यह उतना अच्छा नहीं रहेगा, जितना हमने उम्मीद की थी।”

उन्होंने बताया कि मध्यम वर्ग वास्तव में संकट में है, और पिछले कुछ वर्षों से निजी निवेश में भी कोई वृद्धि नहीं हुई है।

उन्होंने कहा, ”टीसीएस जैसी कंपनियां भर्ती नहीं कर रही हैं, आईटी कर्मचारियों का वेतन नहीं बढ़ रहा है… ये सभी ऐसे मुद्दे हैं, जिनसे हम निपट नहीं पाए हैं। हमें इस तथ्य को स्वीकार करना होगा।”

भाषा पाण्डेय अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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