नयी दिल्ली, 28 अप्रैल (भाषा) भारत अगर हर साल 50 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता जोड़ता है, तो वह 2029 तक तापीय कोयले का आयात पूरी तरह से बंद कर सकता है।
ऐसा करके देश 2025 से 2029 के बीच लगभग 66 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा बचा सकता है। सोमवार को प्रकाशित एक नई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
शोध संस्थान क्लाइमेट रिस्क होराइजन की रिपोर्ट में कहा गया कि 2025 से 2034 तक कुल बचत कम से कम 173 अरब डॉलर हो सकती है।
जलवायु और ऊर्जा शोध संस्थान ने कहा कि देश का बिजली क्षेत्र कोयले के आयात पर बहुत अधिक निर्भर है। वर्ष 2023-24 में लगभग 20 प्रतिशत या 20.6 करोड़ टन तापीय कोयले का आयात 21 अरब डॉलर की लागत से किया जाएगा।
रिपोर्ट में कहा गया कि 2013 से 2023 के बीच तापीय कोयले के आयात में 58 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, लेकिन अस्थिर वैश्विक कीमतों और कमजोर होते रुपये के कारण इन आयातों का मूल्य 124 प्रतिशत बढ़ गया है।
रिपोर्ट में कहा गया कि गर्मी के महीनों के दौरान आयात बढ़ता है, जब मांग अधिक होने से बिजली की खपत बढ़ जाती है।
भारत ने 2013 से 2023 के दौरान लगभग 212.8 करोड़ टन कोयले का आयात किया, जिसमें से ज्यादातर कोयला बिजली उत्पादन के लिए थी।
भाषा पाण्डेय रमण
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