(दीपक पटेल)
नयी दिल्ली, 28 मई (भाषा) अडाणी समूह की वाणिज्यिक ड्रोन इकाई मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए राजस्व के दो मॉडल- डीलर आधारित और सर्विस आधारित मॉडल पर विचार कर रही है। कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने शनिवार को यह कहा।
एक दिन पहले ही अडाणी डिफेंस एंड एयरोस्पेस कंपनी ने कृषि ड्रोन स्टार्टअप जनरल एरोनॉटिक्स में 50 फीसदी इक्विटी हिस्सेदारी खरीदने के लिए समझौते की घोषणा की है।
अडाणी समूह में रणनीति एवं चेयरमैन कार्यालय में उपाध्यक्ष रंगराजन वियजराघवन ने पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में ड्रोन कारोबार के लिए संभावित राजस्व मॉडल का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘‘हम डीलर-आधारित मॉडल और सर्विस-आधारित मॉडल दोनों पर विचार कर रहे हैं। हमारा निर्णय बाजार की प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगा।’’
डीलर-आधारित मॉडल में उपकरण सीधे ग्राहक को बेचा जाएगा। वहीं सर्विस आधारित मॉडल में अडाणी समूह किसी स्थानीय उद्यमी या कंपनियों के साथ साझेदारी में शुल्क आधारित ड्रोन सेवा उपलब्ध करवाएगा, इसका उपयोग कीटनाशक के छिड़काव जैसे काम के लिए किया जाएगा।
विजयराघवन ने कहा कि अडाणी समूह वाणिज्यिक ड्रोन क्षेत्र में कई क्षेत्रों पर विचार कर रहा है जिनमें से एक प्रमुख क्षेत्र कृषि है। उन्होंने कहा, ‘‘यह कृषकों की आजीविका को बेहतर बनाने के लिए ड्रोन प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच के अनुरूप है। राष्ट्र निर्माण की हमारी प्रतिबद्धता के साथ ही हम प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण से बहुत अधिक प्रेरित हैं और हमारा मानना है कि बाजार में उल्लेखनीय अवसर मौजूद हैं।’’
विजयराघवन ने कहा कि ड्रोन का उपयोग करने पर कृषि क्षेत्र को विशेष लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि इससे कीटनाशक का छिड़काव होने के साथ-साथ जल और कामगार आवश्यकता भी कम होगी जिसका फायदा किसानों को मिलेगा।
कंपनी ने कृषि ड्रोन स्टार्टअप जनरल एरोनॉटिक्स के अधिग्रहण समझौते के वित्तीय विवरण का खुलासा नहीं किया है। बेंगलुरु स्थित जनरल एरोनॉटिक्स कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके तकनीक आधारित फसल सुरक्षा सेवाओं, फसल स्वास्थ्य निगरानी और उपज निगरानी सेवाओं के लिए रोबोटिक ड्रोन विकसित करती है।
विनिर्माण सुविधाओं के बारे में विजयराघवन ने बताया कि हैदराबाद और बेंगलुरु में कंपनी के विनिर्माण संयंत्र हैं जहां सैन्य उपयोग वाले ड्रोन बनाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि वाणिज्यिक ड्रोन तो यहां नहीं बनाए जाएंगे लेकिन कुछ समान कलपुर्जों का निर्माण जरूर यहां हो सकता है।
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मानसी प्रेम
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