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Saturday, 16 November, 2024
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अडाणी विल्मर की क्षेत्रीय चावल ब्रांड, प्रसंस्करण इकाइयों के अधिग्रहण पर नजर

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कोलकाता, 23 मार्च (भाषा) अडाणी विल्मर आटा और चावल जैसे प्रमुख खाद्य पदार्थों पर जोर दे रही है। खाद्य तेल, आटा और रसोई में इस्तेमाल होने वाले सामान बेचने वाली प्रमुख कंपनी देश के कई राज्यों में क्षेत्रीय चावल ब्रांडों और प्रसंस्करण इकाइयों के अधिग्रहण की तलाश में है। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।

कंपनी फार्च्यून ब्रांड के तहत ब्रांडेड चावल पेश करेगी। इसकी शुरुआत पश्चिम बंगाल से अप्रैल में होगी।

अडाणी विल्मर ने पश्चिम बंगाल में रुग्ण चावल प्रसंस्करण इकाई का अधिग्रहण कर इस क्षेत्र में कदम बढ़ाया है। इस क्षेत्र का आकार तीन से 3.5 करोड़ टन सालाना है।

कंपनी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अंगशू मलिक ने कहा, ‘‘हम दैनिक उपयोग वाले चावल खंड में तेजी से बढ़ने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। इसका बाजार राशन की दुकानों के जरिये खाद्यान्न वितरण के अलावा प्रतिवर्ष 3.0 से 3.5 करोड़ टन टन है। हम तेजी से विकास के लिए कई राज्यों में ब्रांड और चावल प्रसंस्करण इकाइयों के अधिग्रहण की तलाश में हैं। हमने सबसे पहले पश्चिम बंगाल में एक रुग्ण इकाई का अधिग्रहण किया है।’’

उन्होंने कहा कि अधिग्रहण से तेजी से वृद्धि होगी जबकि नई परियोजनाओं के परिचालन में आने में कम-से-कम दो साल का समय लगता है।

मलिक ने कहा, ‘‘हम पहले से ही बासमती चावल में हैं, लेकिन यह चावल की खपत का केवल 10 प्रतिशत है। इसलिए हम दैनिक खपत के लिए उपयोग किए जाने वाले क्षेत्रीय स्थानीय चावल की उपेक्षा नहीं कर सकते हैं। इस खंड में काफी अवसर है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम क्षेत्रीय पसंद के आधार पर पैकेटबंद स्थानीय चावल पेश करेंगे। बंगाल में हम बांसकाटी और मिनिकेट चावल पेश करेंगे जो यहां आम लोगों में चर्चित है। उत्तर प्रदेश में सोना मसूरी और दक्षिण भारत में कोलम चावल लोकप्रिय है।’’

हाल में आईपीओ (आरंभिक सार्वजनिक निर्गम) लाने वाली कंपनी ने अधिग्रहण के लिये 450 से 500 करोड़ रुपये का निर्धारण किया है। खाद्य श्रेणी में आटा और चावल पर उसका प्रमुख रूप से जोर है।

भाषा

रमण अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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