नयी दिल्ली, पांच जुलाई (भाषा) देश में लगभग 65 प्रतिशत शल्य चिकित्सक (सर्जन) भारत के चिकित्सा बुनियादी ढांचे से खुश नहीं हैं। इसके साथ 86 प्रतिशत शल्य चिकित्सकों का मानना है कि पश्चिमी देशों के मुकाबले उन्हें बहुत कम वेतन मिलता है। बुधवार को जारी एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
स्वास्थ्य सेवाएं देने वाली प्रिस्टीन केयर और डिजिटल स्वास्थ्य मंच लाइब्रेट डाटा लैब्स ने संयुक्त रूप से महानगरों और मझोले शहरों में 700 सर्जन के बीच किये गये इस सर्वेक्षण में डॉक्टर को दिए जा रहे वेतन, चिकित्सा ढांचे और काम के बोझ जैसे चिकित्सा क्षेत्र के विभिन्न मुद्दों से संबंधित सवाल पूछे थे।
इस सर्वेक्षण के अनुसार, भारत के लगभग 65 प्रतिशत सर्जन देश के चिकित्सा संबंधी बुनियादी ढांचे से नाखुश हैं। वहीं 86 प्रतिशत सर्जन का मानना है कि पश्चिमी देशों के मुकाबले उन्हें बहुत कम वेतन मिलता है। वेतन विसंगति के कारण भारत के उच्च प्रशिक्षित और अनुभवी सर्जन उन्हीं पश्चिमी देशों में पलायन करने को मजबूर होते हैं।
सर्वेक्षण में यह बात भी सामने आई है कि यहां काम का अतिरिक्त बोझ है। लगभग 48 प्रतिशत डॉक्टरों का मानना है कि उनके ऊपर काम का इतना बोझ है कि वह अपने कार्य-जीवन में संतुलन बनाए रखने में असमर्थ रहते हैं। इसका कारण प्रशासनिक कार्य का बोझ, समर्थन और संसाधनों की कमी और भावनात्मक समर्थन का अभाव है, जिसके कारण मनोवैज्ञानिक तनाव बनता है।
इस बारे में प्रिस्टीन केयर के सह-संस्थापक डॉ. वैभव कपूर ने कहा, “इस सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य सर्जन के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों को सामने लाना था, जिसमें कम वेतन, अपर्याप्त चिकित्सा बुनियादी ढांचा आदि शामिल हैं। इसके कारण वे अपने कार्य-जीवन में संतुलन बनाए रखने में कहीं न कहीं विफल रहते हैं।’’
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