नयी दिल्ली, 28 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को मध्यस्थता कानून के तहत आदेश के क्रियान्वयन को लेकर दायर याचिकाओं के जल्द निपटान के लिये इलाहबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को रूपरेखा तैयार करने का आदेश दिया। न्यायालय ने कहा कि वाणिज्यिक विवादों से जुड़े मामलों में न्यायिक निर्णय में देरी से कारोबार सुगमता प्रभावित होती है।
न्यायाधीश एम आर शाह और न्यायाधीश बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि अगर वाणिज्यिक विवादों का समाधान जल्दी नहीं किया जाता है, इससे देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है और संबंधित पक्षों के बीच कारोबारी संबंध खराब कर सकते हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘हम मुख्य न्यायाधीश से न्यायाधीशों की समिति बनाने का आग्रह करते हैं तथा लंबित मामलों के निपटाने को लेकर रूपरेखा को लेकर सुझाव आमंत्रित करते हैं।’’
न्यायालय ने कहा, ‘‘हम मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध करते हैं कि वह अगली सुनवाई के दिन सुझाव दें कि उच्च न्यायालय का ऐसी स्थिति और राज्य में बड़ी संख्या में वाणिज्यिक कानूनी विवाद से निपटने के लिये क्या कदम उठाने का विचार है।’’
शीर्ष अदालत ने कहा कि सुधारात्मक कदम उठाने का समय आ गया है और इसके लिये संबंधित उच्च न्यायालय को रूपरेखा तैयार करनी है।
न्यायालय ने राज्य में 1993 से आदेश क्रियान्वयन याचिकाओं के लंबित होने को लेकर आश्चर्य जताया।
मामले की अगली सुनवाई अब 18 मई को होगी।
शीर्ष अदालत मध्यस्थता कानून के तहत इलाहबाद उच्च न्यायालय में आदेश को लागू करने के लिये दायर आवेदनों के लंबित होने से जुड़े मामले पर सुनवाई कर रही है।
भाषा
रमण अजय
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